फैज़ान के लिए यह स्कूल ही नहीं बल्कि यह शहर, यह माहौल सब कुछ नया था। उसके पापा का ट्रान्सफर इस शहर में हो गया था। अतः उसे अपना स्कूल, अपने मित्र सब कुछ छोड़ कर आना पड़ा। वह बहुत अकेलापन महसूस कर रहा था। सब अपने अपने ग्रुप में बंटे आपस में हंसी मजाक कर रहे थे। एक वही सबसे अलग थलग खड़ा था। क्लास शुरू हुई तो वह आकर अपनी सीट पर बैठ गया। उसने अपने साथ बैठे लडके को एक स्माइल दी। वह भी उसे देख कर हल्के से मुस्कुरा दिया और अपने काम में लग गया। उसके बाद उनमें कोई बात नहीं हुई।
रीसेस में वह ग्राउंड में आकर बैठ गया। वह अपने पुराने स्कूल को याद कर रहा था। कितना पॉपुलर था वह अपने पुराने स्कूल में। स्पोर्ट्स, डिबेट, एस्से राइटिंग सब में अव्वल रहता था। टीचर्स स्टूडेंट्स सब का चहेता था। सब उससे दोस्ती करना चाहते थे। यहाँ तो कोई उस की तरफ देख भी नहीं रहा। फैज़ान के मन में आया " काश की पापा का ट्रान्सफर न हुआ होता। उसे यहाँ ना आना पड़ता। "
" क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ " फैज़ान ने देखा एक लड़का उसके सामने खड़ा मुस्कुरा रहा है। " ज़रूर " कह कर फैज़ान थोडा सा खिसक गया। " मैं तुम्हारी ही क्लास में हूँ। शायद तुमने ध्यान नहीं दिया।मैं सुबह से देख रहा हूँ की तुम सब से अलग चुपचाप हो।" " हाँ मैं यहाँ नया आया हूँ।" फैज़ान ने कुछ उखड़ा सा ज़वाब दिया।
" मेरा नाम रतन है, क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे।" कह कर उसने फैज़ान की तरफ दोस्ती का हाँथ बढा दिया।
फैज़ान ने देखा कि उसकी आँखों में उसके लिए आत्मीयता झलक रही है। फैज़ान उस से हाथ मिलाते हुए बोला " आज से हम दोस्त हैं।" जल्द ही दोनों एक दूसरे से खुल गए।
कुछ देर पहले फैज़ान कितना अकेलापन महसूस कर रहा था। रतन की आत्मीयता ने सारा माहौल ही बदल दिया। फैज़ान के मन में एक नई उम्मीद जागी। उसके पुराने मित्रों की याद तो सदैव बनी रहेगी किन्तु यहाँ वह एक नई शरुआत करेगा।
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