देर रात जब ऑफिस कैब ने उसे छोड़ा तो वह अपने साथियों से विदा लेकर तेज़ कदमों अपने घर की ओर चल दी। बस कुछ और कदम और वह अपने घर की सुरक्षा में होगी। तभी एक वैन आकर उसके बगल में रुकी। जब तक वह कुछ समझती दो हाथों ने बलात उसे वैन के भीतर खींच लिया। भीतर वासना से लबरेज़ आँखें उसे घूर रही थीं। वो मदद के लिए चीखी चिल्लाई किन्तु कोई फायदा नहीं हुआ। वैन सूनी सड़क पर दौड़ रही थी। वैन के अन्दर सांप और बिच्छू उसके जिस्म पर रेंग रहे थे। उसकी जलन वह अपनी आत्मा में महसूस कर रही थी।
एक मोड़ पर वैन रुकी और उसे बहार फ़ेंक दिया गया। वह पड़ी थी उस सियाह रात में उस ठंडी सड़क पर। तन और मन दोनों घायल थे। उसकी आँखों में अपने प्रियजनों के चहरे घूमने लगे। उसे अपनी माँ की याद आ रही थी। वह होती तो उसे सीने से लगा कर उसकी सारी पीड़ा हर लेती। उसके ह्रदय में विचारों का झंझावात उमड़ने लगा।क्या होगा जब सब लोगों को इस बात का पता चलेगा। क्या बीतेगी उसके परिवार पर। कैसे करेंगे वो लोगों का सामना। जब वह अपने छोटे से शहर से यहाँ आ रही थी तो उसके ताऊ ने उसके पिता से कहा था " तू बहुत छूट दे रहा है इसे शहर में अकेली रहेगी उस पर देर रात की नौकरी कल कोई ऊँच नीच हो गयी तो बिरादरी में मुह दिखाना मुश्किल होगा।" अब क्या होगा। किन्तु उसके मन ने विरोध किया। तो इसमें उसका क्या दोष है। वह तो यहाँ आई थी की पिता को बड़ा बेटा न होने का अफ़सोस न हो। वह उनकी जिम्मेदारियों में कुछ हिस्सा बटा सके। अपने छोटे भाई की आगे बढ़ने में सहायता कर सके। पर हुआ क्या।
उसके ह्रदय में पीड़ा थी। उसे एक वस्तु की भांति इस्तेमाल कर फ़ेंक दिया गया। यह बात रह रह कर उसे कचोट रही थी। जिन लोगों ने उसके साथ ऐसा किया उनका अहम् आज फूला नहीं समां रहा होगा। उनके भीतर जलती वासना की आग और भड़क गयी होगी। अब वे तलाश करेंगे एक और लड़की की जिसे मसल कर फ़ेंक सकें। उस के मन में द्वन्द उठ खड़ा हुआ।तो क्या वह उन्हें ऐसे ही छोड़ देगी। तो क्या करे लोग क्या कहेंगे। किंतु वह दुनिया से क्यों डरे। उसने कोई पाप नहीं किया। वह उन वहशियों को जीत के एहसास के साथ नहीं छोड़ेगी। वह लड़ेगी। डगमगाते कदमों किन्तु दृढ इरादे के साथ वह पुलिस स्टेशन की ओर बढ़ने लगी। उसके भीतर आत्म बल की शक्ति प्रज्वलित थी।
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