अंकिता गली के मुहाने पर पहुँची तो डर से ठिठक गई. आज फिर वह गली में खड़ा होगा. उसे देख कर गंदी फ़ब्तियां कसेगा. गंदे इशारे करेगा. कल तो उसने उसे छूने का प्रयास भी किया था. वह समझ नही पा रही थी कि क्या करे. कई दिनों से यह सब चल रहा था. वह परेशान हो गई थी. कभी सोचती कि माँ को सब बता दे. लेकिन वह तो पहले से कितनी परेशान थीं. कॉलेज जाना भी नही छोड़ सकती थी. इम्तहान पास हैं. वह सोंचती थी कि काश उसे कोई शक्ति मिल जाए. लेकिन उसे देखते ही डर जाती थी. यही वजह थी कि कल उसने छूने का प्रयास किया. वह असमंजस में खड़ी थी. तभी टीवी में देखी एक घटना ना जाने क्यों उसके दिमाग में कौंध गई. कुत्ते से बच कर भागती बिल्ली को जब रास्ता नही मिला तो वह पलट कर कुत्ते पर झपट पड़ी. अचानक उसके इस व्यवहार से कुत्ता डर कर भाग गया. उसका असमंजस समाप्त हो गया. एक निश्चय के साथ वह आगे बढ़ी. कुछ दूर पर ही वह मिल गया. बिना डरे वह आगे बढ़ने लगी. उसने कुछ फ़ब्तियां कसी और उसकी तरफ लपका. वह पलटी और अपनी पूरी शक्ति से चिल्लाई "मेरे पीछे क्यों पड़े हो. भाग जाओ."
उसके इस रूप से वह डर गया और तेज़ी से भाग गया.
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