फिज़िक्स की क्लास चल रही थी. सभी बड़े ध्यान से सुन रहे थे. विनय का ध्यान लेक्चर पर नही था. वह चोरी चोरी निकिता को देख रहा था. वह मन ही मन निकिता को चाहता था. उसकी हर बात उसे बहुत पसंद थी.
निकिता सौम्य स्वभाव की आत्मविश्वास से भरी लड़की थी. उसका लक्ष्य आई आई टी में दाखिला लेना था. बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में कुछ ही समय शेष था. कोंचिंग में बहुत जोर से पढ़ाई चालू थी. निकिता का सारा ध्यान केवल पढ़ाई पर ही केंद्रित था.
निकिता अपने माता पिता की इकलौती संतान थी. उससे उन्हें बहुत उम्मीदे थीं. अब तक वह उनकी सारी उम्मीदों पर खरी उतरी थी. अपने भविष्य को लेकर उसने बहुत से सपने देखे थे. वह उन्हें पूरा करने के लिए जी जान से जुटी थी.
विनय एक बहुत ही अंतर्मुखी किस्म का लडंका था. उसके पिता को शराब की लत थी. आए दिन घर में उसके माता पिता के बीच झगड़े होते रहते थे. उसका कोई भाई बहन नही था. वह बहुत अकेलापन महसूस करता था. दूसरों से बात करने में झिझकता था. अतः उसके गिने चुने मित्र ही थे.
जब पहली बार वह इस कोचिंग में आया था उसका मन यहाँ नही लगा था. लेकिन जब उसने निकिता को देखा तो पहली ही नजर में उसे पसंद करने लगा. जैसे जैसे दिन बीतने लगे उसकी पसंद चाहत में बदलने लगी. अब तो यह चाहत जुनून में बदल चुकी थी. रात दिन निकिता उसके खयालों में रहती थी. उसके एकाकी जीवन में निकिता ही उसके सबसे निकट थी. वह वास्तविक्ता में उसे पाना चाहता था. लेकिन अपने दिल की बात उससे कह नही पाता था. अब उसके लिए यह सब कुछ बहुत असह्य हो गया था. अतः उसने निकिता को सब कुछ बताने का फैसला किया.
कोचिंग की छुट्टी होने के बाद निकिता अकेली घर जा रही थी.
विनय ने सोंचा कि यही मौंका है. उसने निकिता का पीछा करना आरंभ कर दिया. निकिता एक गली में मुड़ी. वह सुनसान थी. मौका देख कर विनय ने उसे पुकारा "निकिता". अपना नाम सुन कर निकिता ठिठक गई. उसने देखा तो सामने विनय था. उसने पूंछा "क्या है. क्यों रोका मुझे."
विनय झिझकते हुए बोला "निकिता मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ. तुम्हारे बिना रह नही सकता. मुझे अपना लो."
उसकी बात सुन कर निकिता क्रोधित हो गई "यह क्या मज़ाक है. खबरदार जो मुझसे ऐसी बात फिर की तो."
"निकिता यह मज़ाक नही हकीकत है. मैं सचमुच तुम्हें चाहता हूँ." विनय ने सफाई दी.
लेकिन उसकी बात सुने बिना ही निकिता तेज़ी से चली गई.
निकिता के इस व्यवहार से विनय के मन को ठेस पहुँची. अगले दिन वह कोचिंग भी नही गया. उसका दोस्त बसंत उससे मिलने आया तो उसने सारी बात उसे बता दी. बसंत उसकी बात सुन कर हंसते हुए बोला "तू फिल्म में नही देखता. हिरोइन पहले मना करती है फिर हीरो के बार बार मनाने पर मान जाती है. तू कोशिश जारी रख." फिर कुछ ठहर कर बोला "देख भाई जो लड़का लड़की से हाँ ना करा सके वह तो मेरे हिसाब से मर्द ही नही."
बसंत की आखिरी बात विनय को चुभ गई. बयंत को विदा कर वह फौरन ही बाहर निकल गया. कोचिंग छूटने ही वाली थी. वह कुछ दूर पर खड़ा होकर निकिता की राह देखने लगा. कुछ देर में कोचिंग की छुट्टी हुई. निकिता बाहर आई. कुछ देर एक लड़की से बात कर अपने घर चल दी. एक दूरी बना कर विनय भी उसके पीछे चल दिया. उसी सुनसान गली में उसने निकिता को घेर लिया. उसका हाथ पकड़ कर बोला "मैंने मज़ाक नही किया था. मैं सचमुच तुम्हें चाहता हूँ. तुम्हें मेरी बनना होगा."
निकिता बहुत डर गई थी. उसने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और मदद के लिए चिल्लाती हुई भागी.
गली के एक मकान से एक सज्जन निकले. वह भाग कर उनके पास चली गई. स्थिति की गंभीरता भांप कर विऩय वहाँ से चंपत हो गया.
निकिता ने सारी बात अपने घर में बताई. उन लोगों ने कोचिंग में शिकायत की विऩय को निष्काशित कर दिया गया. निकिता के पिता ने उसे धमकाया कि यदि वह बाज़ नही आया तो पुलिस से शिकायत करेंगे.
निकिता दो दिन तक कोचिंग नही गई. उसके बाद उसकी माँ उसे छोड़ने और लेने आने लगीं. कुछ दिन बीत गए. धीरे धीरे निकिता सामान्य होने लगी. विनय अब दिखाई नही पड़ता था. सबने सोंच लिया कि अब वह शांत हो गया. निकिता ने फिर से अकेले आना जाना आरंभ कर दिया.
उस घटना के बाद से विनय अपमान की आग में जल रहा था. बसंत के शब्द 'जो लड़का लड़की को ना मना सके मेरे हिसाब से मर्द नही' हथौड़ी की तरह उसके दिमाग में लगातार चोट करते रहते थे. वह शांत नही हुआ था बल्कि उसके दिमाग में कुछ अलग चल रहा था.
विनय पेंड़ की आड़ मे छुप कर खड़ा था. कुछ समय बाद निकिता आती दिखाई पड़ी. वह अपने आप में खोई चली आ रही थी. जैसे ही वह पास आई विनय उसके सामने आ गया. उसे अचानक सामने देख कर वह सहम गई. फिर खुद को काबू में कर चिल्लाई "अभी तुम्हारे होश ठिकाने नही आए. कैसे बेशर्म हो."
विनय के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई. अपने बैग से उसने एक बोतल निकाली. सारा वातावरण निकिता की दर्दनाक चीखों से दहल गया.
संभावनाओं से भरा एक जीवन बेकार की सनक और कुत्सित सोंच की भेंट चढ़ गया.
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निकिता सौम्य स्वभाव की आत्मविश्वास से भरी लड़की थी. उसका लक्ष्य आई आई टी में दाखिला लेना था. बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में कुछ ही समय शेष था. कोंचिंग में बहुत जोर से पढ़ाई चालू थी. निकिता का सारा ध्यान केवल पढ़ाई पर ही केंद्रित था.
निकिता अपने माता पिता की इकलौती संतान थी. उससे उन्हें बहुत उम्मीदे थीं. अब तक वह उनकी सारी उम्मीदों पर खरी उतरी थी. अपने भविष्य को लेकर उसने बहुत से सपने देखे थे. वह उन्हें पूरा करने के लिए जी जान से जुटी थी.
विनय एक बहुत ही अंतर्मुखी किस्म का लडंका था. उसके पिता को शराब की लत थी. आए दिन घर में उसके माता पिता के बीच झगड़े होते रहते थे. उसका कोई भाई बहन नही था. वह बहुत अकेलापन महसूस करता था. दूसरों से बात करने में झिझकता था. अतः उसके गिने चुने मित्र ही थे.
जब पहली बार वह इस कोचिंग में आया था उसका मन यहाँ नही लगा था. लेकिन जब उसने निकिता को देखा तो पहली ही नजर में उसे पसंद करने लगा. जैसे जैसे दिन बीतने लगे उसकी पसंद चाहत में बदलने लगी. अब तो यह चाहत जुनून में बदल चुकी थी. रात दिन निकिता उसके खयालों में रहती थी. उसके एकाकी जीवन में निकिता ही उसके सबसे निकट थी. वह वास्तविक्ता में उसे पाना चाहता था. लेकिन अपने दिल की बात उससे कह नही पाता था. अब उसके लिए यह सब कुछ बहुत असह्य हो गया था. अतः उसने निकिता को सब कुछ बताने का फैसला किया.
कोचिंग की छुट्टी होने के बाद निकिता अकेली घर जा रही थी.
विनय ने सोंचा कि यही मौंका है. उसने निकिता का पीछा करना आरंभ कर दिया. निकिता एक गली में मुड़ी. वह सुनसान थी. मौका देख कर विनय ने उसे पुकारा "निकिता". अपना नाम सुन कर निकिता ठिठक गई. उसने देखा तो सामने विनय था. उसने पूंछा "क्या है. क्यों रोका मुझे."
विनय झिझकते हुए बोला "निकिता मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ. तुम्हारे बिना रह नही सकता. मुझे अपना लो."
उसकी बात सुन कर निकिता क्रोधित हो गई "यह क्या मज़ाक है. खबरदार जो मुझसे ऐसी बात फिर की तो."
"निकिता यह मज़ाक नही हकीकत है. मैं सचमुच तुम्हें चाहता हूँ." विनय ने सफाई दी.
लेकिन उसकी बात सुने बिना ही निकिता तेज़ी से चली गई.
निकिता के इस व्यवहार से विनय के मन को ठेस पहुँची. अगले दिन वह कोचिंग भी नही गया. उसका दोस्त बसंत उससे मिलने आया तो उसने सारी बात उसे बता दी. बसंत उसकी बात सुन कर हंसते हुए बोला "तू फिल्म में नही देखता. हिरोइन पहले मना करती है फिर हीरो के बार बार मनाने पर मान जाती है. तू कोशिश जारी रख." फिर कुछ ठहर कर बोला "देख भाई जो लड़का लड़की से हाँ ना करा सके वह तो मेरे हिसाब से मर्द ही नही."
बसंत की आखिरी बात विनय को चुभ गई. बयंत को विदा कर वह फौरन ही बाहर निकल गया. कोचिंग छूटने ही वाली थी. वह कुछ दूर पर खड़ा होकर निकिता की राह देखने लगा. कुछ देर में कोचिंग की छुट्टी हुई. निकिता बाहर आई. कुछ देर एक लड़की से बात कर अपने घर चल दी. एक दूरी बना कर विनय भी उसके पीछे चल दिया. उसी सुनसान गली में उसने निकिता को घेर लिया. उसका हाथ पकड़ कर बोला "मैंने मज़ाक नही किया था. मैं सचमुच तुम्हें चाहता हूँ. तुम्हें मेरी बनना होगा."
निकिता बहुत डर गई थी. उसने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और मदद के लिए चिल्लाती हुई भागी.
गली के एक मकान से एक सज्जन निकले. वह भाग कर उनके पास चली गई. स्थिति की गंभीरता भांप कर विऩय वहाँ से चंपत हो गया.
निकिता ने सारी बात अपने घर में बताई. उन लोगों ने कोचिंग में शिकायत की विऩय को निष्काशित कर दिया गया. निकिता के पिता ने उसे धमकाया कि यदि वह बाज़ नही आया तो पुलिस से शिकायत करेंगे.
निकिता दो दिन तक कोचिंग नही गई. उसके बाद उसकी माँ उसे छोड़ने और लेने आने लगीं. कुछ दिन बीत गए. धीरे धीरे निकिता सामान्य होने लगी. विनय अब दिखाई नही पड़ता था. सबने सोंच लिया कि अब वह शांत हो गया. निकिता ने फिर से अकेले आना जाना आरंभ कर दिया.
उस घटना के बाद से विनय अपमान की आग में जल रहा था. बसंत के शब्द 'जो लड़का लड़की को ना मना सके मेरे हिसाब से मर्द नही' हथौड़ी की तरह उसके दिमाग में लगातार चोट करते रहते थे. वह शांत नही हुआ था बल्कि उसके दिमाग में कुछ अलग चल रहा था.
विनय पेंड़ की आड़ मे छुप कर खड़ा था. कुछ समय बाद निकिता आती दिखाई पड़ी. वह अपने आप में खोई चली आ रही थी. जैसे ही वह पास आई विनय उसके सामने आ गया. उसे अचानक सामने देख कर वह सहम गई. फिर खुद को काबू में कर चिल्लाई "अभी तुम्हारे होश ठिकाने नही आए. कैसे बेशर्म हो."
विनय के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई. अपने बैग से उसने एक बोतल निकाली. सारा वातावरण निकिता की दर्दनाक चीखों से दहल गया.
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