पारस कुछ चीज़ों की व्यवस्था देखने के लिए कमरे के बाहर गए थे. आज दोपहर ही में महिमा और वह इस लॉज में आए थे. महिमा के दिल में कई मिलेजुले भाव उमड़ रहे थे. थोड़ी खुशी, थोड़ा कौतुहल, थोड़ा संकोच कुछ भय. सब मिलकर एक अजीब सी भावना पैदा कर रहे थे. आज उसके और पारस के वैवाहिक जीवन की पहली रात थी.
दोनों की शादी अरेंज्ड थी. वैसे महिमा एक आधुनिक लड़की थी. अपने पैरों पर खड़ी थी. लेकिन यह विषय उसने अपनी इच्छा से माता पिता पर छोड़ दिया था.
ऐसा नही था कि दोनों को एक दूसरे को समझने का बिल्कुल भी समय नही मिला था. विवाह से पहले दोनों की चंद मुलाकातें हुई थीं. फोन पर भी दोनों अक्सर बातें करते थे. इन सब से पारस एक भले इंसान प्रतीत हुए थे. इतना ही पर्याप्त समझा था उसने. वैसे तो पूरी ज़िंदगी कम पड़ती है किसी को जानने के लिए. फिर कोई भी परिपूर्ण नही होता. रिश्ता तो आपसी सामंजस्य पर ही टिक पाता है.
दरअसल पारस को लेकर वह असहज नही थी. यह उहापोह तो नैसर्गिक थी. जो सदा से ही नव ब्याहता के मन में इस रात को लेकर रही है.
अपनी नर्वसनेस को कम करने के लिए वह अपने मोबाइल पर अपना पसंदीदा रूमानी गाना सुनने लगी. खिड़की के बाहर रजनीगंधा का पेंड़ था. मंद हवा से पत्ते कांप रहे थे. दरवाज़े पर हुई दस्तक ने उसके दिल में भी सिहरन पैदा कर दी.
लग जा गले....
दोनों की शादी अरेंज्ड थी. वैसे महिमा एक आधुनिक लड़की थी. अपने पैरों पर खड़ी थी. लेकिन यह विषय उसने अपनी इच्छा से माता पिता पर छोड़ दिया था.
ऐसा नही था कि दोनों को एक दूसरे को समझने का बिल्कुल भी समय नही मिला था. विवाह से पहले दोनों की चंद मुलाकातें हुई थीं. फोन पर भी दोनों अक्सर बातें करते थे. इन सब से पारस एक भले इंसान प्रतीत हुए थे. इतना ही पर्याप्त समझा था उसने. वैसे तो पूरी ज़िंदगी कम पड़ती है किसी को जानने के लिए. फिर कोई भी परिपूर्ण नही होता. रिश्ता तो आपसी सामंजस्य पर ही टिक पाता है.
दरअसल पारस को लेकर वह असहज नही थी. यह उहापोह तो नैसर्गिक थी. जो सदा से ही नव ब्याहता के मन में इस रात को लेकर रही है.
अपनी नर्वसनेस को कम करने के लिए वह अपने मोबाइल पर अपना पसंदीदा रूमानी गाना सुनने लगी. खिड़की के बाहर रजनीगंधा का पेंड़ था. मंद हवा से पत्ते कांप रहे थे. दरवाज़े पर हुई दस्तक ने उसके दिल में भी सिहरन पैदा कर दी.
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