पिंटू ने अपने सहायक राजू से पूछा "वो सिंघल साहब ने जो डबलबेड का आर्डर दिया था वह समय से पूरा हो जाएगा ना."
"बस कुछ ही काम बचा है. जल्द ही हो जाएगा." काम करते हुए राजू ने जवाब दिया.
"देखना कोई कमी ना रह जाए. उन्हें बेटी की शादी में देना है." पिंटू ने समझाया.
वह सभी कामों का बारीकी से मुआयना कर रहा था. कारीगरों को आवश्यक निर्देश दे रहा था. तभी एक कारीगर ने दरवाज़े की ओर संकेत किया. वहाँ हवलदार खड़ा था. पिंटू ने उसे सलाम किया.
"साब ने थाने बुलाया है." हवलदार ने रौब से कहा.
"अभी बहुत काम है शाम तक हाजिर होता हूँ." पिंटू ने कुछ सहमते हुए कहा.
"ठीक है" कह कर हवलदार चला गया.
पिंटू ने जुर्म से कब का किनारा कर लिया था. लेकिन उसके अतीत की कीलें अभी भी पैरों में चुभती थीं.
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