बसंत अचानक नींद से जाग उठा. उसने कमरे की बत्ती जलाई. पास रखी बोतल से थोड़ा पानी पिया.
इन दिनों परेशानियों और निराशाओं ने चारों ओर से घेर रखा था. उनसे लड़ते हुए वह थकने लगा था.
वह उस सपने को याद करने लगा जिसके कारण उसकी नींद टूटी थी. चारों तरफ घना अंधेरा था. वह बीच समंदर में था. चारों तरफ से वह लहरों से घिरा था. वह किसी प्रकार बाहर निकलने के लिए हाथ पांव मार रहा था. लहरों से जूझते हुए उसने देखा कि वह किनारे पर आ गया था.
कुछ देर तक वह सपने पर विचार करता रहा.
यह उसके अंतर्मन का संदेश था कि भले ही कठिनाइयां उसे तोड़ने का प्रयास कर रही हों किंतु उसके प्रयास अवश्य कामयाब होंगे.
इन दिनों परेशानियों और निराशाओं ने चारों ओर से घेर रखा था. उनसे लड़ते हुए वह थकने लगा था.
वह उस सपने को याद करने लगा जिसके कारण उसकी नींद टूटी थी. चारों तरफ घना अंधेरा था. वह बीच समंदर में था. चारों तरफ से वह लहरों से घिरा था. वह किसी प्रकार बाहर निकलने के लिए हाथ पांव मार रहा था. लहरों से जूझते हुए उसने देखा कि वह किनारे पर आ गया था.
कुछ देर तक वह सपने पर विचार करता रहा.
यह उसके अंतर्मन का संदेश था कि भले ही कठिनाइयां उसे तोड़ने का प्रयास कर रही हों किंतु उसके प्रयास अवश्य कामयाब होंगे.
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