कभी आबिदा सोशल मीडिया पर अपनी सेल्फी के लिए मशहूर थी. पार्टियों की जान समझी जाती थी. अपने ज़िदादिल तथा हंसमुख व्यक्तित्व से वह बड़ी आसानी से सब को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी.
वह आत्मविश्वास से परिपूर्ण थी. एक सफल लेखिका के तौर पर वह समाज में अपना मुकाम बना चुकी थी. उसकी पिछली चार किताबों को पाठकों ने सर आंखों पर बिठाया था. जिसके कारण लेखन का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार उसे प्राप्त हुआ था.
उसके लिए जीवन की सबसे बड़़ी उपलब्धि थी उसके जीवन में सच्चे प्रेम का प्रवेश. सिकंदर ने उसके ह्रदय के उस खाली हिस्से को भरा था जहाँ किसी के आगमन की उसे कई सालों से प्रतीक्षा थी. वह बहुत खुश थी. इतनी सारी खुशियों के बीच इस बीमारी ने ना जाने कब दबे पांव आकर उसे दबोच लिया.
कई दिनों से वह सर दर्द एवं कमज़ोरी महसूस कर रही थी. पर अपने उत्साह में वह इसे नज़रअंदाज़ कर रही थी. एक दिन उसने अपने वक्ष पर गिल्टी सी देखी. उसे कुछ सही नही लगा. उसने डॉक्टर को दिखाया. जाँच में पता चला कि उसे स्तन कैंसर है.
उसे लगा जैसे ज़िंदगी हाथों से फिसल रही है. वह टूट गई. लंबे इलाज ने उसके शरीर पर असर दिखाया. उसका आत्मविश्वास टूट गया. पहले जो पार्टियों की जान थी अब अपने कमरे से बाहर नही निकलती थी. आइने में स्वयं को देखने से डरती थी.
इस निराशा में यदि कोई आशा लेकर आता था तो वह था सिकंदर. वह जितनी भी देर उसके साथ रहता प्रसास करता कि माहौल को खुशनुमा बनाए रखे. यही कारण था कि वह हर बार फूलों का गुलदस्ता लेकर आता था. आबिदा ने कई बार उससे कहा कि वह उसके लिए अपना जीवन बर्बाद ना करे किंतु वह हंस कर टाल देता था.
आज भी वह फूलों का गुलदस्ता लेकर आया. साथ में एक केक भी था.
"केक क्यों, आज तो हम दोनों में से किसी का जन्मदिन नही है." आबिदा ने कौतुहल से पूंछा.
सिकंदर हौले से मुस्कुरा कर बोला "आज हमारे रिश्ते का जन्मदिन है."
आबिदा संजीदा हो गई. उसकी आंखें नम हो गईं.
"क्या हुआ तुम्हें." सिकंदर ने प्यार से पूंछा.
कुछ क्षणों तक उसको निहारने के बाद आबिदा बोली "क्यों तुम इस रिश्ते से बंधे हो. मेरे साथ कोई सुख नही मिलेगा तुम्हें. नुकसान में रहोगे."
उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर कर सिकंदर बोला "जानती हो प्यार को लोग अंधा क्यों कहते हैं. क्योंकि सच्चा प्यार नफा नुकसान नही देखता. मैने तुमसे प्रेम किया है. कोई बिज़नेस डील नही."
"पर मैं पहले जैसी नही रही सिकंदर. देखो क्या हाल हो गया है मेरा."
"एक बार मेरी आंखों में खुद को देखो. तुम पहले जैसी ही हो." सिकंदर ने अपना चेहरा उसकी तरफ कर दिया ताकि वह आंखों में झांक सके.
सिकंदर की आंखों में उसे अपने लिए प्रेम का सागर लहराता दिखाई दिया. वह उसके गले से लग कर रोने लगी. उसे सांत्वना देते हुए बोला "मैं नही जानता कि वक्त हमें कितने दिनों की मोहलत देगा. किंतु जब तक मैं ज़िंदा हूँ मेरे लिए तुम्हारा प्यार ही सब कुछ है."
उन दोनों ने मिल कर अपने रिश्ते की सालगिरह का केक काटा. आज आबिदा बहुत अर्से के बाद खुश थी. अपने भीतर एक नई ऊर्जा महसूस कर रही थी. सिकंदर जाने लगा तो बोली "मुझे मेरा फोन दे दोगे. बहुत दिन हो गए मैने उसका इस्तेमाल नही किया."
सिकंदर ने उसे उसका फोन दे दिया. उसने एक सेल्फी ली और अपने सोशल एकाउंट पर अपलोड कर दी.
सेल्फी'
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