फिर वह सारे दृष्य उसके मानस पटल पर चलचित्र की भांति चलने लगे. एक उन्मादी भीड़ हाथों में मशाल तथा हथियार लिए एक घर में घुस गई. वहाँ मौजूद मर्द औरत और उनके बच्चे को कत्ल कर दिया. खून के छीटों से सना एक चेहरा उसकी आंखों में तैर गया. वह चेहरा उसी का था. घबराहट के मारे वह पसीने से तर बतर हो गया.
"पानी बेटा पानी पिला दो." एक कमज़ोर बूढ़ी आवाज़ उसके कानों में पड़ी. वह उठ कर गया और पास रखे घड़े से उस वृद्धा को पानी पिला दिया.
उस वृद्धा ने अपना कांपता हाथ उसके सर पर रख दिया "उन ज़ालिमों ने तो मेरा सब कुछ छीन लिया था. यदि तुम फरिश्ता बन कर ना आए होते तो मेरा क्या होता. ऊपरवाला तुम्हें सुखी रखे."
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