अष्टमी का दिन था. माँ भगवती की आरती में भाग लेने के लिए रानी मंदिर जा रही थी. अचानक पीछे से दो लड़कों ने उसे दबोच लिया और मोटर साइकिल पर बैठा कर ले गए. रानी ने कोशिश की किंतु मुंह से आवाज़ भी नही निकल पाई.
मंदिर में बहुत भीड़ थी. माँ के भक्त उनके भजन गा रहे थे. कुछ ही देर में घंटे घड़ियाल के शोर में माता की आरती होने लगी. भक्तगण पूरी तल्लीनता से माता की आरती गा रहे थे.
मंदिर से कुछ ही दूर एक मकान में रानी का दुपट्टा फर्श पर पड़ा उसकी तार तार होती इज्ज़त की गवाही दे रहा था.
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