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अनुभव


वह लड़की डरी सहमी सी भाग रही थी. उसके पीछे बबलू अभद्र टिप्पणी करते हुए चल रहा था. अपनी जीत पर उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
लड़की के जाने के बाद जैसे ही वह मुड़ा अपने सामने एक अजीब से शख़्स को खड़ा पाया. उसके सफेद चोंगे और दाढ़ी को देख कर बबलू बोला "क्या कोई आसमानी फरिश्ते हो."
"हाँ सही पहचाना." उस व्यक्ति ने गंभीर स्वर में कहा.
बबलू ने गुस्से से कहा "फालतू की मत फेंको. कोई नौटंकी वाले हो."
उस व्यक्ति ने आगे बढ़ कर बबलू के सर पर एक छड़ी छुआई. उसके स्पर्श से ही कुछ क्षणों में बबलू एक लड़की में बदल गया. बबलू कुछ समझ पाता उससे पहले ही वह व्यक्ति गायब हो गया.
लड़की के रूप में बबलू अकेला सड़क पर खड़ा था. तभी मोटरसाइकिल सवार एक लड़का उसके पास आकर रुका "कहीं छोड़ दूँ." उसने ऊपर से नीचे तक घूरते हुए पूंछा. बबलू को उसकी घूरती निगाहें बुरी लगीं. उसने अपनी असलियत बतानी चाही पर उसके मुंह से कुछ नही निकल सका. वह लड़का उसका हाथ पकड़ने लगा. बबलू ने हाथ छुड़ाया और वहाँ से भाग निकला.
भागते हुए वह मुख्य सड़क पर आया. सामने रोडवेज़ की बस दिखी. वह उस पर चढ़ गया. बस में बहुत भीड़ थी. वह भीड़ के बीच दबा था. बस अभी चली ही थी कि उसने महसूस किया कि किसी की उंगलियां उसके शरीर को छू रही हैं. उसने पीछे देखा तो एक अधेड़ आदमी उसे देख कर दांत निकाल रहा था. यूँ छुआ जाना बबलू को असहनीय लगा. उसने जोर से उसे कोहनी मारी. एक बुज़ुर्ग व्यक्ति ने सब देख कर आपत्ति की. भीड़ उस मनचले को मारने लगी. कुछ लोग बबलू को सांत्वना देने लगे. इस प्रक्रिया में भी कुछ हाथ जिस्म के खास हिस्सों से टकराए. बस स्टॉप आते ही बबलू अपने घर की तरफ चल दिया.
रोज़ की तरह वह सुनसान गली से गुज़रा. कुछ ही देर में एक कार उसके पास आकर रुकी. दरवाज़ा खुला. अन्दर नशे में धुत तीन लड़के थे. उनकी आंखों से वासना झलक रही थी. एक उसे जबरन कार के भीतर खींचने लगा. बबलू अपने आप को बचाने का प्रयास करने लगा.
तभी अचानक वह आसमानी फरिश्ता प्रकट हुआ. उसने छड़ी घुमाई. लड़कों समेत कार गायब हो गई. बबलू फिर से अपने शरीर में आ गया.
वह व्यक्ति खड़ा मुस्कुरा रहा था. कुछ ही देर में बबलू को जो अनुभव हुए उसने लड़कियों के प्रति उसकी सोंच को बदल दिया था.
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