आंगन में चारपाई पर लेटी सरला ज़ोर ज़ोर से खांस रही थी.
बड़ी बहू ने डांटा "आप अपने कमरे में ही क्यों नही रहती हैं. इस तरह खांस खांस कर सबको बीमार कर देंगी."
बीना रसोई से दौड़ी आई और सहारा देकर सास को उनके कमरे में छोड़ आई. जब वह रसोई में जाने लगी तो जेठानी ने पूंछा "खाना बन गया."
"बस कुछ ही देर है." उसने धीरे से कहा.
"तुम भी दिन पर दिन सुस्त होती जा रही हो." जेठानी ने ताना मारा. "मैं पड़ोस में जा रही हूँ. ये दुकान से आएं तो खाना परोस देना." यह कह कर वह चली गई.
बीना जल्दी जल्दी हाध चलाने लगी. भइया ने कितनी बार उसे साथ चलने को कहा पर वह नही गई.
वह तो जवान है सब कुछ सह लेती है. लेकिन यदि वह चली गई तो यह बूढ़ी हड्डियां इस झंझावात को नही सह पाएंगी.
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