रिटायर्ड मेजर सिंह के घर पर शोक व्यक्त करने वालों का तांता लगा था।
किसी के आने पर रुदन के कुछ स्वर तेज़ हो जाते फिर आपसी फुसफुसाहट में बदल जाते।
मेजर साहब रोज़ सुबह जल्दी उठ कर सैर के लिए जाते थे। साथ में उनका साथी जैकी भी होता था। आज जब वह नहीं उठे तो जैकी ने पहले तो खुद उन्हें उठाने के प्रयास किए। बाद में भौंक कर घर वालों को चेताया।
मेजर साहब का शरीर भीतर रखा था। जैकी चुपचाप गार्डन में उस जगह बैठा था जहाँ मेजर साहब अखबार पढ़ते हुए चाय पीते थे।
किसी के आने पर रुदन के कुछ स्वर तेज़ हो जाते फिर आपसी फुसफुसाहट में बदल जाते।
मेजर साहब रोज़ सुबह जल्दी उठ कर सैर के लिए जाते थे। साथ में उनका साथी जैकी भी होता था। आज जब वह नहीं उठे तो जैकी ने पहले तो खुद उन्हें उठाने के प्रयास किए। बाद में भौंक कर घर वालों को चेताया।
मेजर साहब का शरीर भीतर रखा था। जैकी चुपचाप गार्डन में उस जगह बैठा था जहाँ मेजर साहब अखबार पढ़ते हुए चाय पीते थे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें