आज पानी पीने के बहाने सरिता बार बार फ्रिज खोल रही थी। हर बार वह गुलाब जामुन के बॉउल पर ललचाई दृष्टि डालती फिर फ्रिज का दरवाज़ा बंद कर देती।
मीठा उसकी कमज़ोरी था। मीठा खाने के लिए उसे ना किसी खास समय की ज़रूरत थी और ना ही अवसर की। दिन में कुछ ना कुछ मीठा खाती ही रहती थी।
कुछ दिन पहले जब उसे एक फुंसी ने परेशान किया तो डॉक्टर ने शुगर टेस्ट कराने को कहा। परिणाम उसके अनुकूल नहीं आया। मीठा खाना मना हो गया।
यह गुलाबजामुन उसने टेस्ट कराने से पहले बनाए थे। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसे डायबिटीज़ होगी। पर अब सच सामने था।
जब उससे रहा नहीं गया तो उसने एक कटोरी में दो गुलाबजामुन निकाले। वह खाने ही जा रही थी कि मन ने विरोध किया। 'यह तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं। कुछ हुआ तो तुम्हें और परिवार दोनों को तकलीफ होगी।'
सरिता ने गुलाबजामुन वापस बॉउल में डाल दिए।
मीठा उसकी कमज़ोरी था। मीठा खाने के लिए उसे ना किसी खास समय की ज़रूरत थी और ना ही अवसर की। दिन में कुछ ना कुछ मीठा खाती ही रहती थी।
कुछ दिन पहले जब उसे एक फुंसी ने परेशान किया तो डॉक्टर ने शुगर टेस्ट कराने को कहा। परिणाम उसके अनुकूल नहीं आया। मीठा खाना मना हो गया।
यह गुलाबजामुन उसने टेस्ट कराने से पहले बनाए थे। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसे डायबिटीज़ होगी। पर अब सच सामने था।
जब उससे रहा नहीं गया तो उसने एक कटोरी में दो गुलाबजामुन निकाले। वह खाने ही जा रही थी कि मन ने विरोध किया। 'यह तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं। कुछ हुआ तो तुम्हें और परिवार दोनों को तकलीफ होगी।'
सरिता ने गुलाबजामुन वापस बॉउल में डाल दिए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें