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ह्रदय परिवर्तन

चार साल का बच्चा सहमा हुआ सा अरुणा की गोद में घुसा हुआ था। वह भी उसके सर पर हाथ फेर कर ढांढस बंधा रही थी।
"देखो अरुणा हम इसे अपने साथ नहीं रख सकते। इसके और हमारे परिवार के बीच कई सालों से झगड़ा चल रहा है।" रतन ने समझाया।
"लेकिन अब इस अनाथ का कोई नहीं बचा। क्या इससे दुश्मनी करेंगे। मैं इसे बेसहारा नहीं होने दूँगी।" अरुणा ने बच्चे को कस कर सीने से लगा लिया।
"पापा इसके लिए तैयार नहीं होंगे। मैं उनके खिलाफ नहीं जाऊँगा।"
रतन के पिता कमरे के बाहर खड़े सब सुन रहे थे। थोड़ी सी ज़मीन के लिए इतने सालों तक अपने ही भाई से झगड़ा रहा। वह अपने बेटे बहू के साथ दुर्घटना में मारा गया। अब उसका नन्हा सा पोता ही बचा था। पिछले दो दिनों से वह आत्म चिंतन कर रहे थे। इस झगड़े से कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
एक निर्णय कर रतन के पिता कमरे में आए।
"बहू जो कर रही है सही है।"
रतन ने आश्चर्य से उनकी तरफ देखा।
"बेटा जानवर भी अपने आप को बदल लेते हैं। फिर हम क्यों ज़िद में आकर इस बच्चे को अनाथ करें।"
अरुणा की आँखों में आंसू थे और रतन इस ह्रदय परिवर्तन से हैरान।

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