मनोज की शराब की लत छुड़ाने के लिए उसके डॉक्टर ने कांउसलर के पास भेजा था।
उसके सामने तेइस चौबीस साल की एक आकर्षक लड़की बैठी थी। पिछले बीस मिनटों से वह उसे समझाने की कोशिश कर रही थी कि शराब उसके लिए ज़हर है। शराब पीकर वह सच्चाई से दूर भागने का प्रयास कर रहा है।
मनोज अपने तर्क दे रहा था। उसका कहना था कि कई बार सच्चाई बहुत दुखदाई होती है। उसका सामना करना आसान नहीं होता। जिस पर बीतती है वही समझता है।
वह बोला "मैं शराब ना पिऊँ तो पागल हो जाऊँगा।"
तभी चपरासी ने आकर कांउसलर से कुछ कहा। वह बोली "माफ कीजिएगा मनोज जी आज मुझे ज़रूरी काम से जाना है। बाकी का सेशन कल करते हैं।"
एक आदमी व्हीलचेयर लेकर कमरे में दाखिल हुआ। उसने उसे उठा कर व्हीलचेयर पर बैठा दिया।
मनोज बहुत ध्यान से सब देख रहा था। स्वयं को व्हीलचेयर पर व्यवस्थित कर काउंसलर बोली "मनोज जी जब ज़िंदगी में बिखराव आए तो हिम्मत रख कर उसे समेटना ही सबसे अच्छा हल है।"
उसके सामने तेइस चौबीस साल की एक आकर्षक लड़की बैठी थी। पिछले बीस मिनटों से वह उसे समझाने की कोशिश कर रही थी कि शराब उसके लिए ज़हर है। शराब पीकर वह सच्चाई से दूर भागने का प्रयास कर रहा है।
मनोज अपने तर्क दे रहा था। उसका कहना था कि कई बार सच्चाई बहुत दुखदाई होती है। उसका सामना करना आसान नहीं होता। जिस पर बीतती है वही समझता है।
वह बोला "मैं शराब ना पिऊँ तो पागल हो जाऊँगा।"
तभी चपरासी ने आकर कांउसलर से कुछ कहा। वह बोली "माफ कीजिएगा मनोज जी आज मुझे ज़रूरी काम से जाना है। बाकी का सेशन कल करते हैं।"
एक आदमी व्हीलचेयर लेकर कमरे में दाखिल हुआ। उसने उसे उठा कर व्हीलचेयर पर बैठा दिया।
मनोज बहुत ध्यान से सब देख रहा था। स्वयं को व्हीलचेयर पर व्यवस्थित कर काउंसलर बोली "मनोज जी जब ज़िंदगी में बिखराव आए तो हिम्मत रख कर उसे समेटना ही सबसे अच्छा हल है।"
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