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खत

मेहुल जब घर लौटा तो लेटरबॉक्स में उसके लिए एक पत्र था. भीतर आकर उसने पत्र खोला और पढ़ने लगा.
'मैं इतने सालों के बाद तुम्हें पत्र लिख रही हूँ क्योंकी इस मुश्किल घड़ी में मैं तुम्हारे अलावा किसी पर यकीन नहीं कर सकती हूँ. मुझे कैंसर है. मेरे पास अधिक दिन नहीं हैं. मुझे चिंता सिर्फ अपनी छह साल की बेटी की है. वह मानसिक रूप से अक्षम है. उसके पिता से मेरा संबंध विच्छेद हो चुका है. नशे के आदी उस व्यक्ति से मैं कोई उम्मीद नहीं कर सकती. इसलिए उसकी ज़िम्मेदारी तुम्हें सौंपना चाहती हूँ.
निशा'
निशा और मेहुल का रिश्ता बिना किसी नाम के भी मजबूत था. इतने दिनों में भी उसकी गर्माहट कम नहीं हुई थी. पत्र में निशा का पता भी था.
पत्र बंद कर मेहुल नेट पर अगली फ्लाइट की जानकारी लेने लगा.

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अपडेट

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कदम

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गिरगिट

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