"कौन है." उर्मिला देवी ने चौंक कर पूँछा.
"कोई नहीं है अम्मा तुम चुपचाप लेटी रहो." मंझली बहू ने झल्लाते हुए कहा.
थोड़ी थोड़ी देर में उर्मिला देवी चौंक कर यही सवाल करती थीं. शरीर जर्जर हो चुका था. आँखों से भी अधिक नहीं दिखता था. पर हर समय उनके कान दरवाज़े पर होने वाली आहट पर लगे रहते थे. उन्हें अपने छोटे बेटे का इंतज़ार था. यह इंतज़ार उन्हें अपने लिए नहीं था. उनका बेटा अपनी छह माह की गर्भवती पत्नी को छोड़ कर ना जाने कहाँ चला गया था. वह तो प्रतीक्षा में थीं कि वह लौट आए तो उसे डांट कर कहें कि क्यों अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़ कर चले गए थे. बहू और पोती को उसके सुपुर्द कर वह चैन से मर सकें.
"कोई नहीं है अम्मा तुम चुपचाप लेटी रहो." मंझली बहू ने झल्लाते हुए कहा.
थोड़ी थोड़ी देर में उर्मिला देवी चौंक कर यही सवाल करती थीं. शरीर जर्जर हो चुका था. आँखों से भी अधिक नहीं दिखता था. पर हर समय उनके कान दरवाज़े पर होने वाली आहट पर लगे रहते थे. उन्हें अपने छोटे बेटे का इंतज़ार था. यह इंतज़ार उन्हें अपने लिए नहीं था. उनका बेटा अपनी छह माह की गर्भवती पत्नी को छोड़ कर ना जाने कहाँ चला गया था. वह तो प्रतीक्षा में थीं कि वह लौट आए तो उसे डांट कर कहें कि क्यों अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़ कर चले गए थे. बहू और पोती को उसके सुपुर्द कर वह चैन से मर सकें.
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