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बनावटी मुस्कान

फिल्म जगत के मशहूर निर्माता निर्देशक का जन्मदिन था. कई फिल्मी हस्तियां उनके बंगले पर पहुँच रही थीं. तभी अभिनेत्री लवलीन की कार आकर रुकी. कार से उतर कर लवलीन ने प्रशंसकों की तरफ मुस्कुराते हुए हाथ हिलाया और भीतर चली गई. वह अपनी बिंदास छवि के लिए इंडस्ट्री में मशहूर थी. अंदर लगभग सभी बड़े सितारे मौजूद थे. लवलीन अपनी चिरपरिचित मुस्कान और शोख़ अदाओं के साथ पार्टी में जलवे बिखेर रही थी. 
सबसे मिलने के बाद वह अपना ड्रिंक लेकर एक तरफ बैठ कर सिप करने लगी. तभी उसके फोन पर उसके प्रेमी जीशान का मैसेज आया 'इट्स ओवर'. जीशान और उसके बीच पिछले तीन सालों से रिश्ता था. पिछले कई दिनों से दोनों के बीच अनबन चल रही थी.
लवलीन उठ कर वॉशरूम चली गई. वह आईने के सामने खड़ी थी. उसके दिल का सूनापन उसकी आँखों से छलकने लगा. इससे पहले की वह बह कर सबके सामने आता उसने खुद को संयत किया. जब वह बाहर आई तो मुस्कान फिर उसके चेहरे पर चिपकी थी.

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अपडेट

  रागिनी ने बॉस के केबिन में प्रवेश किया तो उसने उसे बैठने को कहा। उसके बाद अपनी सीट से उठ कर वह रागिनी के पास आकर टेबल पर बैठ गया। ऊपर से नीचे तक उसे भेदती निगाहों से देख कर बोला। "तुम्हारी ड्रेस तो बहुत सुंदर है। बहुत अच्छी फिटिंग है।" रागिनी ने बिना कुछ कहे अपना मोबाइल उठा लिया। यह देख कर बॉस ने कहा। "यह क्या कर रही हो?" "सर आप अपनी बात जारी रखिए। मैं ट्विटर पर अपडेट कर रही हूँ।" बॉस तुरंत अपनी सीट पर वापस चला गया। "वो मेरा मतसब था कि मेरी पत्नी को भी कुछ टिप्स दे दो। वह कपड़ों को लेकर परेशान...." रागिनी ने बात काटते हुए कहा। "अगर कोई काम ना हो तो मैं जाऊँ।" बॉस के कुछ कहने से पहले रागिनी कमरे से बाहर चली गई।

कदम

बहुत दिनों तक सोंचने के बाद आरूषि ने अपना फैसला अपनी माँ को सुनाया. वह आश्चर्यचकित रह गईं. उसकी माँ ने कुछ गुस्से में कहा "तुम आज के बच्चे कुछ सोंचते भी हो या नही. शादी नही करनी है ना सही. अब बच्चा गोद लेने की बात. अकेली कैसे पालोगी उसे." आरुषि शांत स्वर में बोली "मम्मी तुम जानती हो कि मैं बिना सोंचे कुछ नही करती. जहाँ तक अकेले पालने का सवाल है तो जीजा जी के ना रहने पर दीदी भी तो बच्चों को अकेले पाल रही है." "पर जरूरत क्या है." उसकी माँ ने विरोध किया. आरुषि ने समझाते हुए कहा "जरूरत है मम्मी. मुझे भी अपने जीवन में कोई चाहिए." "लोगों को क्या कहेंगे." उसकी माँ ने फिर अपनी बात कही. "वह मैं देख लूंगी." अपनी माँ के कुछ कहने से पहले ही वह कमरे से बाहर चली गई. आरुषि एक स्वावलंबी लड़की थी. वह शांत और गंभीर थी. अपने निर्णय स्वयं लेती थी. उसने निश्चय किया था कि वह अविवाहित रहेगी. इसलिए दबाव के बावजूद भी उसने अपना निर्णय नही बदला. लेकिन अब वह अपने आस पास कोई ऐसा चाहती थी जिसे वह अपना कह सके. एक बच्चा जिसे वह प्यार दे सके. वह ऐसा बच्चा

गिरगिट

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