वृद्धाश्रम में अपने मालिक सरीन साहब को देख कर जगत ने पूँछा "साहब आप का तो अपना बड़ा सा मकान है. आपका बेटा बहू भी आपके साथ रहते हैं. फिर आप यहाँ क्यों आए."
उसकी बात सुनकर सरीन साहब सोंच में पड़ गए. पहले तो बेटा बहू केवल शब्दों से अपमानित करते थे. किंतु पिछले हफ्ते तो बात हाथ उठाने तक आ गई. उनका यकीन अब उन पर से उठ गया था. अपनी हिफाजत की सोंच कर यहाँ आ गए.
सरीन साहब मन की बात दबा कर बोले "वो क्या है घर पर सब कुछ सही था. पर यहाँ सब हमउम्र हैं. अतः यहाँ मन अधिक लगेगा."
उसकी बात सुनकर सरीन साहब सोंच में पड़ गए. पहले तो बेटा बहू केवल शब्दों से अपमानित करते थे. किंतु पिछले हफ्ते तो बात हाथ उठाने तक आ गई. उनका यकीन अब उन पर से उठ गया था. अपनी हिफाजत की सोंच कर यहाँ आ गए.
सरीन साहब मन की बात दबा कर बोले "वो क्या है घर पर सब कुछ सही था. पर यहाँ सब हमउम्र हैं. अतः यहाँ मन अधिक लगेगा."
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