मीरा कमल को खाना खिला रही थी. उसने कस कर मीरा का आंचल पकड़ रखा था.
"छोड़ो बेटा मैं एक और रोटी लेकर आती हूँ."
"नहीं मैं भी चलूँगा तुम्हारे साथ."
मीरा ने प्यार से अपने उन्नीस साल के बेटे के सर पर हाथ फेरा. जिस्म से बड़ा हो चुका कमल दिमागी तौर पर एक बच्चा ही था. कल जब मीरा नए साल पर उसे मंदिर लेकर गई थी तब कुछ पलों के लिए कमल का हाथ उससे छूट गया था. वह बहुत घबरा गया था. तब से वह सजग था. मीरा को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ रहा था.
मीरा ने उसे समझाया "घबराओ नहीं मैं कहीं नहीं जाऊँगी. तुम्हारे साथ ही रहूँगी."
कमल ने अपना सर उसकी गोद में छुपा लिया.
"छोड़ो बेटा मैं एक और रोटी लेकर आती हूँ."
"नहीं मैं भी चलूँगा तुम्हारे साथ."
मीरा ने प्यार से अपने उन्नीस साल के बेटे के सर पर हाथ फेरा. जिस्म से बड़ा हो चुका कमल दिमागी तौर पर एक बच्चा ही था. कल जब मीरा नए साल पर उसे मंदिर लेकर गई थी तब कुछ पलों के लिए कमल का हाथ उससे छूट गया था. वह बहुत घबरा गया था. तब से वह सजग था. मीरा को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ रहा था.
मीरा ने उसे समझाया "घबराओ नहीं मैं कहीं नहीं जाऊँगी. तुम्हारे साथ ही रहूँगी."
कमल ने अपना सर उसकी गोद में छुपा लिया.
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