"डॉक्टर साहब आप तो देवता हैं. मैने तो उम्मीद छोड़ दी थी. पर आपने मेरी बच्ची को बचा लिया." उस गरीब बूढ़े ने हाथ जोड़ कर कहा.
डॉ. मोहन ने विनम्रता से कहा "मैने तो बस अपना फर्ज़ निभाया है. बाकी ज़िंदगी देना तो ईश्वर के हाथ में है.
डॉ. मोहन कई सालों से गरीब असहाय लोगों के लिए मुफ्त दवाखाना चला रहे थे. सभी का कहना था की उनके हाथ में शफ़ा है. मरते हुए को भी जिला सकते हैं.
उन्हें ढेरों आशीर्वाद देकर बूढ़ा चला गया. उसके जाने के बाद डॉ. मोहन उठे और दीवार पर लटके चित्र को निहारने लगे. तस्वीर में एक किशोर का मुस्कुराता चेहरा दिखाई पड़ रहा था. उनकी आंखें नम हो गईं. उन्होंने पुराना हार उतार कर नया हार तस्वीर पर चढ़ा दिया.
डॉ. मोहन ने विनम्रता से कहा "मैने तो बस अपना फर्ज़ निभाया है. बाकी ज़िंदगी देना तो ईश्वर के हाथ में है.
डॉ. मोहन कई सालों से गरीब असहाय लोगों के लिए मुफ्त दवाखाना चला रहे थे. सभी का कहना था की उनके हाथ में शफ़ा है. मरते हुए को भी जिला सकते हैं.
उन्हें ढेरों आशीर्वाद देकर बूढ़ा चला गया. उसके जाने के बाद डॉ. मोहन उठे और दीवार पर लटके चित्र को निहारने लगे. तस्वीर में एक किशोर का मुस्कुराता चेहरा दिखाई पड़ रहा था. उनकी आंखें नम हो गईं. उन्होंने पुराना हार उतार कर नया हार तस्वीर पर चढ़ा दिया.
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