"मैंने तुम्हारे उपन्यास की पांडुलिपि पढ़ी। बहुत अच्छा लिखा है तुमने। एक बार छप जाए तो तहलका मच जाएगा" प्रतिष्ठित लेखक सत्यदेव जी ने उभरते हुए लेखक की तारीफ की।
"जी सर ऐसा हो जाए तो मेरी गरीबी भी दूर हो जाए। अब तो बहुत मुश्किल हो गई है।" लेखक ने अपना दुख सुनाया।
सत्यदेव जी उठ भीतर चले गए। जब बाहर आए तो बोले "समस्या यह है कि नए लेखकों पर प्रकाशक यकीन नहीं दिखलाते हैं।"
उन्होंने अपनी जेब से पैसे निकाल कर पांडुलिपि के बगल में रख दिए।
"चुन लो जो तुम्हें चाहिए।"
लेखक के हाथ पांडुलिपि की तरफ बढ़े। तभी बच्चों के चेहरे सामने आ गए। उसने पैसे उठाए और चला गया।
"जी सर ऐसा हो जाए तो मेरी गरीबी भी दूर हो जाए। अब तो बहुत मुश्किल हो गई है।" लेखक ने अपना दुख सुनाया।
सत्यदेव जी उठ भीतर चले गए। जब बाहर आए तो बोले "समस्या यह है कि नए लेखकों पर प्रकाशक यकीन नहीं दिखलाते हैं।"
उन्होंने अपनी जेब से पैसे निकाल कर पांडुलिपि के बगल में रख दिए।
"चुन लो जो तुम्हें चाहिए।"
लेखक के हाथ पांडुलिपि की तरफ बढ़े। तभी बच्चों के चेहरे सामने आ गए। उसने पैसे उठाए और चला गया।
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