रुग्ण माँ शय्या पर लेटी थी। कांतिहीन शरीर पीला पड़ गया था। सभी परेशान थे। वैद्य ने बताया कि रोगाणु इनकी सारी शक्ति हर ले रहे हैं। एक ही उपाय है। यदि विभिन्न प्रकार के रक्त को एकत्र कर माँ को समर्पित किया जाए तो माँ की कांति वापस आ सकती है।
विभिन्न रक्त की बूंदें एक पात्र में एकत्र होने लगीं। शीघ्र ही पात्र भर गया। आपसी वैमनस्य, लालच, भ्रष्टाचार आदि के रोगाणुओं को मात देने का उबाल था उस रक्त में।
वह रक्त माँ की शिराओं में ओज बन कर दौड़ने लगा। माँ के चेहरे की रक्तिम कांति लौट आई।
विभिन्न रक्त की बूंदें एक पात्र में एकत्र होने लगीं। शीघ्र ही पात्र भर गया। आपसी वैमनस्य, लालच, भ्रष्टाचार आदि के रोगाणुओं को मात देने का उबाल था उस रक्त में।
वह रक्त माँ की शिराओं में ओज बन कर दौड़ने लगा। माँ के चेहरे की रक्तिम कांति लौट आई।
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