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बिछड़ा प्यार

सुप्रिया फर्श पर अपना सर घुटनों पर टिकाए बैठी थीं। पास रखे लैपटॉप पर धवल की मुस्कुराती हुई प्रोफाइल तस्वीर थी। इसी मुस्कान से आकर्षित होकर ही तो उसने उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार की थी। फिर तो मैसेज के ज़रिए बाते होने लगीं। उसके बाद वीडियो चैटिंग और फिर मुलाकातों का दौर आरंभ हुआ। 
दोनों ही अनाथ थे। मेहनत से इस मुकाम तक पहुँचे थे। दोनों ने विवाह करने का निश्चय किया। तय किए गए दिन सुप्रिया मंदिर पहुँच कर धवल की प्रतीक्षा करती रही। लेकिन वह नहीं आया। निराश वह अपने वर्किंग वुमन हॉस्टल लौट आई। उसने धवल से संपर्क करने की सारी कोशिशें की। धवल का फोन नहीं लग रहा था। वह उसके पीजी में गई, ऑफिस जाकर पता किया। लेकिन दो दिन हो गए उसकी कोई खबर नहीं मिली। 
सुप्रिया भारी मन से ऑफिस जाने की तैयारी करने लगी। तभी एक अन्जान नंबर से फोन आया। इस उम्मीद से कि कहीं धवल ही ना हो उसने फोन उठा लिया।
"सुप्रिया....मैं धवल.."
"कहाँ हो तुम। मैं कितनी परेशान हूँ।"
धवल ने बताया कि उसका  एक्सीडेंट हो गया था। उसने हॉस्पिटल का पता बताया। सुप्रिया भाग कर वहाँ पहुँची। धवल गंभीर रूप से घायल था। उसे देखते ही सुप्रिया रो पड़ी।
"यह सब कैसे हुआ।" 
"तुम से बताया था ना कि मेरे टीचर फिलिप सर ने मेरी बहुत सहायता की थी। वही मेरे सब कुछ हैं। इसलिए शादी से पहले उनका आशीर्वाद लेने जा रहा था जब एक तेज़ रफ्तार कार ने मुझे टक्कर मार दी। ना जाने कौन मुझे यहाँ ले आया। मैं होश में नहीं था। जब होश आया तो तुमको फोन किया।"
सुप्रिया की आँखों से झर झर आंसू गिरने लगे। उसने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया। उसका प्यार उसे वापस मिल गया था।

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