जब दिशा और निशा धर में घुसीं तो उनकी बुआ आँखों में आंसू भरे बैठी थीं।
'क्या हुआ बुआ रो क्यों रही हो?" निशा ने धबरा कर पूंछा।
"आज तुम्हारे फूफा जी की पुण्यतिथि है। इसलिए हवन रखवाया था। उसके बाद गरीबों को खाना खिलाना था। कुछ ही घंटे बचे हैं और कोई तैयारी नहीं हुई।"
"बस इतनी सी बात। आप घबराओ नहीं हम दोनों सब कर लेंगे।" दिशा ने ढांढस बंधाया।
दोनों बहनें फौरन तैयारी में जुट गईं। दिशा सामान की लिस्ट लेकर बाजार चली गई। निशा घर की व्यवस्था देखने लगी। उन दोनों का उत्साह देख कर बुआ जी में भी स्फूर्ति आ गई।
'क्या हुआ बुआ रो क्यों रही हो?" निशा ने धबरा कर पूंछा।
"आज तुम्हारे फूफा जी की पुण्यतिथि है। इसलिए हवन रखवाया था। उसके बाद गरीबों को खाना खिलाना था। कुछ ही घंटे बचे हैं और कोई तैयारी नहीं हुई।"
"बस इतनी सी बात। आप घबराओ नहीं हम दोनों सब कर लेंगे।" दिशा ने ढांढस बंधाया।
दोनों बहनें फौरन तैयारी में जुट गईं। दिशा सामान की लिस्ट लेकर बाजार चली गई। निशा घर की व्यवस्था देखने लगी। उन दोनों का उत्साह देख कर बुआ जी में भी स्फूर्ति आ गई।
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