चॉल में हर कोई विशाल को इस तरह घेरे था जैसे कि वह उनकी कोई संबंधी हो। बड़े बूढ़े उसे और आगे बढ़ने का आशीर्वाद दे रहे थे। चॉल में जश्न का माहौल था।
विशाल का पीए समझ नहीं पा रहा था कि अपनी फिल्म के लिए राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार जीतने वाला निर्देशक इस बस्ती में क्यों आया है।
लौटते समय पीए ने पूँछ ही लिया "सर यहाँ तो आपका कोई रिश्तेदार भी नहीं रहता। फिर आप यहाँ क्यों आए।"
विशाल मुस्कुरा कर बोला "यह चॉल मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा है। यहाँ मैंने बचपन का एक बड़ा हिस्सा गुज़ारा है। इससे कट कर 'मैं' मैं नहीं रहूँगा।"
विशाल का पीए समझ नहीं पा रहा था कि अपनी फिल्म के लिए राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार जीतने वाला निर्देशक इस बस्ती में क्यों आया है।
लौटते समय पीए ने पूँछ ही लिया "सर यहाँ तो आपका कोई रिश्तेदार भी नहीं रहता। फिर आप यहाँ क्यों आए।"
विशाल मुस्कुरा कर बोला "यह चॉल मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा है। यहाँ मैंने बचपन का एक बड़ा हिस्सा गुज़ारा है। इससे कट कर 'मैं' मैं नहीं रहूँगा।"
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