रागिनी और ज्योती दोनों बहुत समय के बाद मिली थीं। दोनों कॉलेज के समय की पक्की सहेलियां थीं। कॉफी पीते हुए एक दूसरे से बात कर रही थीं। रागिनी महसूस कर रही थी कि ज्योती का ना सिर्फ बाहरी रूप बदला है बल्कि उसका स्वभाव भी बदल गया है। पहले सबसे खुले दिल मिलने वाली ज्योती आज अपनी सखी के साथ भी दूरी बनाए हुए थी।
अपनी दोनों हाथेलियों के बीच कॉफी का मग पकड़े हुए रागिनी बोली "तुम तो बिल्कुल ही बदल गईं। पहले जैसी कोई बात ही नहीं रही।"
ज्योती ने कॉफी का मग टेबल पर रखते हुए कहा "पर तुम तो ज़रा भी नहीं बदलीं जैसी पहले थीं वैसे ही आज भी हो। बिना संकोच मन की बात कर देती हो।" कुछ ठहर कर उसने आगे जोड़ा "वैसे हर किसी को समय के साथ बदलना चाहिए।"
रागिनी ने उसकी आँखों में आँख डाल कर कहा "सही कहा तुमने लेकिन बदलाव इतना भी नहीं होना चाहिए कि इंसान अपने आप को ही भूल जाए।"
ज्योती को लगा जैसे रागिनी की निगाह उसके भीतर तक झांक रही थी।
अपनी दोनों हाथेलियों के बीच कॉफी का मग पकड़े हुए रागिनी बोली "तुम तो बिल्कुल ही बदल गईं। पहले जैसी कोई बात ही नहीं रही।"
ज्योती ने कॉफी का मग टेबल पर रखते हुए कहा "पर तुम तो ज़रा भी नहीं बदलीं जैसी पहले थीं वैसे ही आज भी हो। बिना संकोच मन की बात कर देती हो।" कुछ ठहर कर उसने आगे जोड़ा "वैसे हर किसी को समय के साथ बदलना चाहिए।"
रागिनी ने उसकी आँखों में आँख डाल कर कहा "सही कहा तुमने लेकिन बदलाव इतना भी नहीं होना चाहिए कि इंसान अपने आप को ही भूल जाए।"
ज्योती को लगा जैसे रागिनी की निगाह उसके भीतर तक झांक रही थी।
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