हॉल में बैठे सभी अपनी अपनी प्रति लिए पढ़ने में मशगूल थे। दरअसल सभी लोग अपने प्यारे दोस्त शम्स की किताब के प्रकाशित होने के मौके पर इकठ्ठा हुए थे। शम्स की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी रूबी ने उसकी गज़लों की यह किताब छपवाई थी।
सभी को ज़िंदादिल शम्स की कमी महसूस हो रही थी। तभी रूबी ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा "दोस्तों आज मैं आपको वह गज़ल सुनाऊंगी जो शम्स ने मेरे लिए लिखी थी।"
बिना किसी साज़ के रूबी ने गाना शुरू किया। सभी ध्यान से सुन रहे थे। उसकी आवाज़ से लफ्ज़ सजीव हो उठे थे। ऐसा लग था जैसे शम्स वहीं मौजूद हो।
सभी को ज़िंदादिल शम्स की कमी महसूस हो रही थी। तभी रूबी ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा "दोस्तों आज मैं आपको वह गज़ल सुनाऊंगी जो शम्स ने मेरे लिए लिखी थी।"
बिना किसी साज़ के रूबी ने गाना शुरू किया। सभी ध्यान से सुन रहे थे। उसकी आवाज़ से लफ्ज़ सजीव हो उठे थे। ऐसा लग था जैसे शम्स वहीं मौजूद हो।
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