सामने फिर एक भद्र सा आदमी आता दिखाई दिया। सरजू उम्मीद से उसकी तरफ बढ़ा।
"बाबूजी मदद करो। वो मेरी घरवाली...."
"दूर हटो। बहाने बना कर भीख मांगना तुम लोगों की आदत है।" वह व्यक्ति उसे डांट कर आगे बढ़ गया।
निराश सरजू फिर जाकर फुटपाथ पर बैठ गया। सुबह से कई लोगों से पैसे मांगने की कोशिश कर चुका था। अधिकांश लोगों ने उसे दुत्कार दिया। कुछ एक लोगों ने दिया भी तो बहुत कम था।
पत्नी को इलाज के लिए शहर लेकर आया था। जो भी जमा पूंजी थी सब खत्म हो गई। पत्नी भी नहीं बची। अब उसके शव के दाह संस्कार के लिए पैसे मांग रहा था।
सरजू ने पैसे गिने फिर जेब में रख कर स्टेशन की तरफ बढ़ गया। अपनी पत्नी की लाश को लावारिस छोड़ कर।
"बाबूजी मदद करो। वो मेरी घरवाली...."
"दूर हटो। बहाने बना कर भीख मांगना तुम लोगों की आदत है।" वह व्यक्ति उसे डांट कर आगे बढ़ गया।
निराश सरजू फिर जाकर फुटपाथ पर बैठ गया। सुबह से कई लोगों से पैसे मांगने की कोशिश कर चुका था। अधिकांश लोगों ने उसे दुत्कार दिया। कुछ एक लोगों ने दिया भी तो बहुत कम था।
पत्नी को इलाज के लिए शहर लेकर आया था। जो भी जमा पूंजी थी सब खत्म हो गई। पत्नी भी नहीं बची। अब उसके शव के दाह संस्कार के लिए पैसे मांग रहा था।
सरजू ने पैसे गिने फिर जेब में रख कर स्टेशन की तरफ बढ़ गया। अपनी पत्नी की लाश को लावारिस छोड़ कर।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें