"आपकी बेटी और हमारे बेटे की जोड़ी खूब जमेगी। दोनों हर चीज़ में बराबर हैं। हमें तो रिश्ता मंजूर है।" बांकेलाल ने अपने होने वाले समधी किशोर से कहा।
किशोर ने उन्हें लड्डू खिलाते हुए बधाई दी। बांकेलाल मिठाई का स्वाद ले रहे थे तभी उनकी पत्नी ने कोहनी मार कर बात आगे बढ़ाने का इशारा किया।
बांकेलाल ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा "तो किशोर बाबू आपका क्या संकल्प है।"
"जी संकल्प तो था बेटी को पढ़ा लिखा कर पैरों पर खड़ा करना। वह पूरा हो गया।"
"आप तो मज़ाक करने लगे। मेरा मतलब था कि बेटी को विवाह में कितना देने का विचार किया है।" बांकेलाल दांत निकालते हुए बोले।
किशोर ने कुछ सोंच कर सवाल किया "एक बात बताइए जब दोनों की बराबर की जोड़ी है तो दहेज़ क्यों?"
यह सवाल सुन कर बांकेलाल बगलें झांकने लगे।
किशोर ने उन्हें लड्डू खिलाते हुए बधाई दी। बांकेलाल मिठाई का स्वाद ले रहे थे तभी उनकी पत्नी ने कोहनी मार कर बात आगे बढ़ाने का इशारा किया।
बांकेलाल ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा "तो किशोर बाबू आपका क्या संकल्प है।"
"जी संकल्प तो था बेटी को पढ़ा लिखा कर पैरों पर खड़ा करना। वह पूरा हो गया।"
"आप तो मज़ाक करने लगे। मेरा मतलब था कि बेटी को विवाह में कितना देने का विचार किया है।" बांकेलाल दांत निकालते हुए बोले।
किशोर ने कुछ सोंच कर सवाल किया "एक बात बताइए जब दोनों की बराबर की जोड़ी है तो दहेज़ क्यों?"
यह सवाल सुन कर बांकेलाल बगलें झांकने लगे।
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