राधा ने अपने बेटे से कहा "इनके पैर छुओ। अगर यह ना होते तो तुम अपनी पढ़ाई पूरी ना कर पाते।"
लड़का पैर छूने को आगे बढ़ा तो चंदर ने उसका हाथ पकड़ लिया।
"जीते रहो। सब तुम्हारी मेहनत का फल है।"
राधा बोल पड़ी "नहीं साहब आपकी दया है। वह दुष्ट तो मेरे पती को कुचल कर चला गया था। आपने इसकी पढ़ाई का जिम्मा ना उठाया होता तो ना जाने क्या होता।"
राधा की बात सुनकर चंदर की आँखों के सामने दस साल पहले की तस्वीर घूम गई। सुनसान सड़क पर नशे की हालत में उसने किसी को कार से कुचल दिया था। बाद में पता चला कि मृतक उसका ही कर्मचारी था।
गुनाह कबूलने का साहस नहीं था। उसके एहसास के साथ जीना भी कठिन था। अतः उसने मृतक के परिवार का जिम्मा उठा लिया।
लड़का पैर छूने को आगे बढ़ा तो चंदर ने उसका हाथ पकड़ लिया।
"जीते रहो। सब तुम्हारी मेहनत का फल है।"
राधा बोल पड़ी "नहीं साहब आपकी दया है। वह दुष्ट तो मेरे पती को कुचल कर चला गया था। आपने इसकी पढ़ाई का जिम्मा ना उठाया होता तो ना जाने क्या होता।"
राधा की बात सुनकर चंदर की आँखों के सामने दस साल पहले की तस्वीर घूम गई। सुनसान सड़क पर नशे की हालत में उसने किसी को कार से कुचल दिया था। बाद में पता चला कि मृतक उसका ही कर्मचारी था।
गुनाह कबूलने का साहस नहीं था। उसके एहसास के साथ जीना भी कठिन था। अतः उसने मृतक के परिवार का जिम्मा उठा लिया।
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