सारी सुनवाई हो चुकी थी। जज अपना फैसला लिख रहे थे। थोड़ी ही देर में वह सुनाया जाने वाला था। महेंद्र के वकील की सारी दलीलें ठुकरा दी गई थीं।
अपने मद में चूर महेंद्र समझता था कि वह परिस्थितियों को अपने हिसाब से मोड़ सकता है। बढ़ते अहम के कारण वह खुद को भगवान समझने लगा था। इसी के चलते उसने ना जाने कितनी औरतों की अस्मत को तार तार कर दिया। कई आवाज़ों के गले घोंट दिए।
लेकिन आज वास्तविकता उसके सामने थी। दंभ टूट कर बिखर गया था। फैसला सुनते ही उसके पैर भी उसे नहीं संभाल पाए। ज़मीन पर बैठा वह रहम की अपील करने लगा।
अपने मद में चूर महेंद्र समझता था कि वह परिस्थितियों को अपने हिसाब से मोड़ सकता है। बढ़ते अहम के कारण वह खुद को भगवान समझने लगा था। इसी के चलते उसने ना जाने कितनी औरतों की अस्मत को तार तार कर दिया। कई आवाज़ों के गले घोंट दिए।
लेकिन आज वास्तविकता उसके सामने थी। दंभ टूट कर बिखर गया था। फैसला सुनते ही उसके पैर भी उसे नहीं संभाल पाए। ज़मीन पर बैठा वह रहम की अपील करने लगा।
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