महिपाल बहुत खुश था। हमेशा की तरह पीने बैठ गया था। लेकिन संतोष का मन उदास था।
चार बेटियों की माँ थी वह। चारों से आंगन में चहल पहल रहती थी। पर बेटियां तो पराया धन होती हैं। जितनी जल्दी सही हांथों में सौंप दी जाएं अच्छा है। ऐसा कह कर उसके पती और सास ने तीनों बड़ी बेटियों की कच्ची उम्र में शादी करवा दी। अब केवल रजनी बची थी। आज महिपाल उसके रिश्ते की भी बात कर आया था।
पिछले साल जब मंझली बेटी कम उम्र में प्रसव के दौरान मर गई तो संतोष ने तय कर लिया था कि वह रजनी की कम उम्र में शादी नहीं होने देगी।
"तुम इस रिश्ते के लिए मना कर दो।" संतोष ने महिपाल को साफ कह दिया।
अचानक उसका फैसला सुन वह चकरा गया।
"पी मैं रहा हूँ। चढ़ तुझे गई है। बौरा गई है। इतने अच्छे रिश्ते के लिए मना कर रही है।"
"होश में आ गई हूँ इसीलिए कह रही हूँ। अभी वह केवल पंद्रह की है। आगे पढ़ेगी। सही उम्र में कर देंगे ब्याह।" संतोष ने सख्त स्वर में कहा।
संतोष कुछ भी झेलने को तैयार थी। लेकिन उसने तय कर लिया था कि रजनी को इतनी जल्दी विदा नहीं करेगी।
चार बेटियों की माँ थी वह। चारों से आंगन में चहल पहल रहती थी। पर बेटियां तो पराया धन होती हैं। जितनी जल्दी सही हांथों में सौंप दी जाएं अच्छा है। ऐसा कह कर उसके पती और सास ने तीनों बड़ी बेटियों की कच्ची उम्र में शादी करवा दी। अब केवल रजनी बची थी। आज महिपाल उसके रिश्ते की भी बात कर आया था।
पिछले साल जब मंझली बेटी कम उम्र में प्रसव के दौरान मर गई तो संतोष ने तय कर लिया था कि वह रजनी की कम उम्र में शादी नहीं होने देगी।
"तुम इस रिश्ते के लिए मना कर दो।" संतोष ने महिपाल को साफ कह दिया।
अचानक उसका फैसला सुन वह चकरा गया।
"पी मैं रहा हूँ। चढ़ तुझे गई है। बौरा गई है। इतने अच्छे रिश्ते के लिए मना कर रही है।"
"होश में आ गई हूँ इसीलिए कह रही हूँ। अभी वह केवल पंद्रह की है। आगे पढ़ेगी। सही उम्र में कर देंगे ब्याह।" संतोष ने सख्त स्वर में कहा।
संतोष कुछ भी झेलने को तैयार थी। लेकिन उसने तय कर लिया था कि रजनी को इतनी जल्दी विदा नहीं करेगी।
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