शांता ने रोज़ की तरह पौधे को पानी दिया। आसपास थोड़ी गोड़ाई की। पौधे पर लगे सुंदर फूलों को देखकर उसका मन भी खिल गया।
"मैडम आप इस पौधे की देखभाल खुद करती हैं। मुझे हाथ भी नहीं लगाने देतीं हैं। ऐसा क्यों?"
माली के इस सवाल पर शांता खामोश रही।
यह पौधा उसके पति विलास का लगाया हुआ था। वह भारतीय डॉक्टरों के एक दल के साथ युद्ध ग्रस्त राष्ट्र में सेवा के लिए जा रहा था। उसके जाने की खबर सुन कर शांता परेशान हो गई थी।
"तुम इतने दिनों के लिए जा रहे हो। मैं क्या करूँगी तुम्हारे बिना?"
विलास उसे इस पौधे के पास ले आया था।
"मैंने यह पौधा लगाया है। तुम इसकी देखरेख करना। मैं लौट कर आऊँ तो इस पर फूल खिले होने चाहिए।"
चार साल हो गए एक आतंकवादी संगठन ने विलास का अपहरण कर लिया था। आज तक उसकी कोई खबर नहीं मिल पाई थी।
तब से शांता पूरी लगन से इस पौधे की देखभाल कर रही थी। इस उम्मीद से कि एक दिन विलास इस पर खिले हुए फूलों को देखकर मुस्कुराएगा।
"मैडम आप इस पौधे की देखभाल खुद करती हैं। मुझे हाथ भी नहीं लगाने देतीं हैं। ऐसा क्यों?"
माली के इस सवाल पर शांता खामोश रही।
यह पौधा उसके पति विलास का लगाया हुआ था। वह भारतीय डॉक्टरों के एक दल के साथ युद्ध ग्रस्त राष्ट्र में सेवा के लिए जा रहा था। उसके जाने की खबर सुन कर शांता परेशान हो गई थी।
"तुम इतने दिनों के लिए जा रहे हो। मैं क्या करूँगी तुम्हारे बिना?"
विलास उसे इस पौधे के पास ले आया था।
"मैंने यह पौधा लगाया है। तुम इसकी देखरेख करना। मैं लौट कर आऊँ तो इस पर फूल खिले होने चाहिए।"
चार साल हो गए एक आतंकवादी संगठन ने विलास का अपहरण कर लिया था। आज तक उसकी कोई खबर नहीं मिल पाई थी।
तब से शांता पूरी लगन से इस पौधे की देखभाल कर रही थी। इस उम्मीद से कि एक दिन विलास इस पर खिले हुए फूलों को देखकर मुस्कुराएगा।
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