माधुरी और सुकेश अपने नए एल ई डी टीवी पर फिल्म देख रहे थे . चादर देख कर पैर फैलाने की उनकी आदत नही थी. वह तो जमाने की चकाचौंध में दीवाने थे.
दो माह का मकान का किराया भी नही दिया था. वो दोनों टीवी देख रहे थे तभी मकान मालिक आ गए. सबसे पहले ध्यान नए टी वी पर गया. उन्होंने पूंछा "दो महीने का किराया और बिजली का बिल बचा है कब देंगे."
सुकेश बोला "कोशिश कर रहा हूँ. एक दो दिन में दे दूँगा."
टी वी की तरफ घूरते हुए मकान मालिक ने कहा "वो सब मैं नही जानता. चार दिन बाद फिर आऊँगा. यदि पैसे ना मिले तो मकान खाली कराना मुझे आता है."
उसके जाने के बाद दोनों सोंचने लगे कि किससे पैसे मांगें. जो भी नाम ध्यान में आए उनसे पहले ही कर्ज़ ले चुके थे. पुराना चुकाने की नौबत नही आ रही थी. फिर नया कर्ज़ किस मुंह से मांगते.
अब मकान मालिक को कैसे मनाएं दोनों इसी फिराक में थे.
सुकेश बोला "कोशिश कर रहा हूँ. एक दो दिन में दे दूँगा."
टी वी की तरफ घूरते हुए मकान मालिक ने कहा "वो सब मैं नही जानता. चार दिन बाद फिर आऊँगा. यदि पैसे ना मिले तो मकान खाली कराना मुझे आता है."
उसके जाने के बाद दोनों सोंचने लगे कि किससे पैसे मांगें. जो भी नाम ध्यान में आए उनसे पहले ही कर्ज़ ले चुके थे. पुराना चुकाने की नौबत नही आ रही थी. फिर नया कर्ज़ किस मुंह से मांगते.
अब मकान मालिक को कैसे मनाएं दोनों इसी फिराक में थे.
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