रजनी आइने के सामने खड़ी होकर अपने होठों पर लिपस्टिक लगा रही थी. उसने एक बार ख़ुद को निहारा फिर अपना पर्स उठा कर बाहर जाने को तैयार हो गई.
उसकी सास बड़बड़ाई "अभी मेरे बेटे को गए साल भी पूरा नही हुआ और यह सिंगार कर रोज़ रात को निकल जाती है."
रजनी ने बुढ़िया को घूरा "इसलिए अम्मा कि तुम्हारा बेटा तो अब लौट नही सकता. मैं सिंगार कर ना निकलूं तो दो वक्त खाने के लाले पड़ जाएं." यह कह कर वह निकल गई.
बुढ़िया चुप हो गई. बेटे की मौत के बाद कुछ महीने बड़ी मुश्किल में बीते थे. उन दिनों भूख से जो पीड़ा हुई थी उसे सोंच कर डर गई. मन ही मन स्वयं को कोसने लगी कि वह क्यों बेकार की बातें कर देती है. उसने किवाड़ ठीक से बंद किए और सो गई.
सुबह बस्ती में हलचल थी. बुढ़िया ने खबर सुनी तो बदहवास दौड़ पड़ी. बस्ती के पास रेल की पटरी के किनारे रजनी की निर्वस्त्र लाश पड़ी थी. किसी सरफिरे ने चाकू से गोद कर मार डाला था.
पुलिस ने पंचनामा किया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
बुढ़िया जमीन पर बैठी थी. एक नई फ़िक्र उसके मन में थी. अब इस उम्र में पेट की आग बुझाने के लिए कहाँ हाथ पैर मारेगी.
उसकी सास बड़बड़ाई "अभी मेरे बेटे को गए साल भी पूरा नही हुआ और यह सिंगार कर रोज़ रात को निकल जाती है."
रजनी ने बुढ़िया को घूरा "इसलिए अम्मा कि तुम्हारा बेटा तो अब लौट नही सकता. मैं सिंगार कर ना निकलूं तो दो वक्त खाने के लाले पड़ जाएं." यह कह कर वह निकल गई.
बुढ़िया चुप हो गई. बेटे की मौत के बाद कुछ महीने बड़ी मुश्किल में बीते थे. उन दिनों भूख से जो पीड़ा हुई थी उसे सोंच कर डर गई. मन ही मन स्वयं को कोसने लगी कि वह क्यों बेकार की बातें कर देती है. उसने किवाड़ ठीक से बंद किए और सो गई.
सुबह बस्ती में हलचल थी. बुढ़िया ने खबर सुनी तो बदहवास दौड़ पड़ी. बस्ती के पास रेल की पटरी के किनारे रजनी की निर्वस्त्र लाश पड़ी थी. किसी सरफिरे ने चाकू से गोद कर मार डाला था.
पुलिस ने पंचनामा किया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
बुढ़िया जमीन पर बैठी थी. एक नई फ़िक्र उसके मन में थी. अब इस उम्र में पेट की आग बुझाने के लिए कहाँ हाथ पैर मारेगी.
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