खान साहब के घर आज खुशी का माहौल था. उनकी छोटी बेटी ने सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा में टॉप किया था. इसलिए घर में एक छोटी सी पार्टी रखी गई थी. इंतज़ार हो रहा था तो उनकी बड़ी बेटी ज़ीनत का. वह एक नामी कंपनी में ऊंचे पद पर कार्यरत थी.
ज़ीनत के आते ही माहौल में दुगनी खुशी आ गई. अपने पिता से गले लग कर वह बोली "मुबारक हो अब्बू. निख़त ने तो कमाल कर दिया."
खान साहब ने उसका माथा चूम कर कहा "यह सब तुम्हारी वजह से हो सका. तुमने हमें यकीन दिलाया कि बेटियां भी बेटों से कम नही होतीं. जो मौके तुमने लड़ कर तकलीफें झेल कर लिए बाद में वही हमने निख़त को भी दिए."
ज़ीनत के आते ही माहौल में दुगनी खुशी आ गई. अपने पिता से गले लग कर वह बोली "मुबारक हो अब्बू. निख़त ने तो कमाल कर दिया."
खान साहब ने उसका माथा चूम कर कहा "यह सब तुम्हारी वजह से हो सका. तुमने हमें यकीन दिलाया कि बेटियां भी बेटों से कम नही होतीं. जो मौके तुमने लड़ कर तकलीफें झेल कर लिए बाद में वही हमने निख़त को भी दिए."
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