बस्ती आज सुबह सुबह चंदा के विलाप से दहल गई. उसका पति सांप के डसने के कारण मर गया. यह मजदूरों की बस्ती थी जो छोटे मोटे काम कर जैसे तैसे पेट पालते थे. आभाव तथा दुःख से भरे जीवन में मर्दों के लिए दारू का नशा ही वह आसरा था जहाँ वह गम के साथ खुद को भी भूल जाते थे. औरतें बच्चों का मुख देख कर दर्द के साथ साथ अपने मर्दों के जुल्म भी सह लेती थीं.
चंदा का ब्याह अभी कुछ महिनों पहले ही हुआ था. उसका पति भी रोज़ दारू पीकर उसे पीटता था. कल रात भी नशे की हालत में वह उसे पीट रहा था. लेकिन कल हमेशा की तरह पिटने के बजाय उसने प्रतिरोध किया. अपने पति को घर के बाहर कर वह दरवाज़ा बंद कर सो गई. कुछ देर दरवाज़ा पीटने के बाद उसका पति बाहर फर्श पर ही सो गया.
सुबह जब चंदा उसे मनाकर भीतर ले जाने आई तो उसने उसे मृत पाया. उसके मुंह से झाग निकल रहा था और शरीर पर सांप के डसने का निशान था.
चंदा के घर के सामने बस्ती वाले जमा थे.रोते चंदा के आंसू सूख गए थे. दुःख की जगह चिंता ने ले ली थी. घर में कानी कौड़ी भी नही थी. अपने पति की अर्थी का इंतजाम कैसे करेगी. किससे मांगे सभी घरों की हालत तो एक जैसी है.
चंदा का ब्याह अभी कुछ महिनों पहले ही हुआ था. उसका पति भी रोज़ दारू पीकर उसे पीटता था. कल रात भी नशे की हालत में वह उसे पीट रहा था. लेकिन कल हमेशा की तरह पिटने के बजाय उसने प्रतिरोध किया. अपने पति को घर के बाहर कर वह दरवाज़ा बंद कर सो गई. कुछ देर दरवाज़ा पीटने के बाद उसका पति बाहर फर्श पर ही सो गया.
सुबह जब चंदा उसे मनाकर भीतर ले जाने आई तो उसने उसे मृत पाया. उसके मुंह से झाग निकल रहा था और शरीर पर सांप के डसने का निशान था.
चंदा के घर के सामने बस्ती वाले जमा थे.रोते चंदा के आंसू सूख गए थे. दुःख की जगह चिंता ने ले ली थी. घर में कानी कौड़ी भी नही थी. अपने पति की अर्थी का इंतजाम कैसे करेगी. किससे मांगे सभी घरों की हालत तो एक जैसी है.
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