सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

शह और मात


विजय राज सिंघानिया का नाम उद्योग जगत में शीर्ष पर था. वह सिंघानिया ग्रुप्स के मालिक व चेयरमैन थे. वॉइस चेयरमैन के पद पर उनके परम मित्र राजकिशोर डालमिया कार्यरत थे. किंतु इधर कुछ दिनों से वह गंभीर रूप से अस्वस्थ थे. अतः उनके पद से इस्तिफा देने की खबरें ज़ोरों पर थीं.
विजय राज के छोटे भाई जय राज ने भी सिंघानिया ग्रुप्स को इस मुकाम पर लाने के लिए जी तोड़ मेहनत की थी. किंतु अधिकांशतयः वह नेपथ्य के पीछे ही रहे. सारी चर्चा केवल विजय राज व राजकिशोर के हाथ ही आई.
जय राज बहुत शांत व्यक्ति थे. वह अविवाहित थे. विजय राज के बेटे उदय राज को वह पुत्रवत स्नेह करते थे. हाल ही में लंदन से व्यवसाय प्रबंधन की डिग्री लेकर लौटे उदय राज अपने प्रेम प्रसंगों तथा फार्मूला वन रेसिंग के अपने शौक के कारण अक्सर चर्चा में रहते थे.
अटकलों के मुताबिक राजकिशोर ने अपने पद से इस्तिफा दे दिया. विजय राज ने वह कुर्सी अपने पुत्र को सौंप दी.
उदय राज के पद संभालने को लेकर उद्योग जगत में बहुत वाद विवाद हुए. उनकी अनुभवहीनता तथा रंगीन मिज़ाज की बहुत आलोचना हुई. लेकिन सारे वाद विवाद ठंडे पड़ गए जब दो ही महिने बाद फार्मूला वन रेसिंग के दौरान उदय राज गंभीर रुप से घायल हो गए. खबर थी कि शायद उन्हें आगे का जीवन बिस्तर पर बिताना पड़े.
विजय राज को गहरा सदमा लगा. वॉइस चेयरमैन का पद पर जय राज को सौंप दिया गया.
जय राज पहले इस पद के लिए उदय राज के चयन से नाराज़ थे. किंतु सदैव नेपथ्य के पीछे रहने वाले जय राज ने इसे ज़ाहिर नही किया. अब खबर थी कि जिस रेसिंग कार को उदय राज चला रहे थे उसमें कुछ गड़बड़ी की गई थी.
अपनी कुर्सी पर बैठ कर जय राज मुस्कुराए. मेज़ पर रखे शतरंज पर एक ही चाल से उन्होंने शह और मात दे दी.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ना मे हाँ

सब तरफ चर्चा थी कि गीता पुलिस थाने के सामने धरने पर बैठी थी। उसने अजय के खिलाफ जो शिकायत की थी उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।  पिछले कई महीनों से गीता बहुत परेशान थी। कॉलेज आते जाते अजय उसे तंग करता था। वह उससे प्रेम करने का दावा करता था। गीता उसे समझाती थी कि उसे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। वह सिर्फ पढ़ना चाहती है। लेकिन अजय हंस कर कहता कि लड़की की ना में ही उसकी हाँ होती है।  गीता ने बहुत कोशिश की कि बात अजय की समझ में आ जाए कि उसकी ना का मतलब ना ही है। पर अजय नहीं समझा। पुलिस भी कछ नहीं कर रही थी। हार कर गीता यह तख्ती लेकर धरने पर बैठ गई कि 'लड़की की ना का सम्मान करो।'  सभी उसकी तारीफ कर रहे थे।

गुमसुम

अपने पापा के सामने बैठा विपुल बहुत उदास था. उसके जीवन में इतनी बड़ी खुशी आई थी किंतु उसके पापा उदासीन बैठे थे. तीन साल पहले हुए हादसे ने उससे उसके पिता को छीन लिया था. उसके पापा की आंखों के सामने ही नदी की तेज़ धारा मम्मी को बहा कर ले गई थी. उस दिन से उसके पिता जैसे अपने भीतर ही कहीं खो गए थे. विपुल ने बहुत प्रयास किया कि किसी तरह उनकी उस अंदरूनी दुनिया में प्रवेश कर सके. परंतु उसकी हर कोशिश नाकामयाब रही. इस नाकामयाबी का परिणाम यह हुआ कि वह स्वयं की निराशा के अंधेरे में खोने लगा. ऐसे में अपने शुभचिंतकों की बात मान कर उसने विवाह कर अपने जीवन को एक नई दिशा दी. वह निराशा के भंवर से उबरने लगा. लेकिन अपने पापा की स्थिति पर उसे दुख होता था. दस दिन पहले जन्मी अपनी बच्ची के रोने की आवाज़ उसे उसके विचारों से बाहर ले आई. वह उसके पालने के पास गया. उसकी पत्नी सो रही थी. उसने पूरे एहतियात से बच्ची को उठाया और उसे लेकर अपने पापा के पास आ गया. विपुल ने बच्ची को अपने पिता के हाथों में सौंप दिया. बच्ची उन्हें देख कर मुस्कुरा दी. कुछ देर उसै देखने के बाद उन्होंने उसे उठाया और सीने से लगा लिया. विप...

केंद्र बिंदु

पारस देख रहा था कि आरव का मन खाने से अधिक अपने फोन पर था। वह बार बार मैसेज चेक कर रहा था। सिर्फ दो रोटी खाकर वह प्लेट किचन में रखने के लिए उठा तो पारस ने टोंक दिया। "खाना तो ढंग से खाओ। जल्दी किस बात की है तुम्हें।" "बस पापा मेरा पेट भर गया।" कहते हुए वह प्लेट किचन में रख अपने कमरे में चला गया। पारस का मन भी खाने से उचट गया। उसने प्लेट की रोटी खत्म की और प्लेट किचन में रख आया। बचा हुआ खाना फ्रिज में रख कर वह भी अपने कमरे में चला गया। लैपटॉप खोल कर वह ऑफिस का काम करने लगा। पर काम में उसका मन नही लग रहा था। वह आरव के विषय में सोच रहा था। उसने महसूस किया था कि पिछले कुछ महीनों में आरव के बर्ताव में बहुत परिवर्तन आ गया है। पहले डिनर का समय खाने के साथ साथ आपसी बातचीत का भी होता था। आरव उसे स्कूल में क्या हुआ इसका पूरा ब्यौरा देता था। किंतु जबसे उसने कॉलेज जाना शुरू किया है तब से बहुत कम बात करता है। इधर कुछ दिनों से तो उसका ध्यान ही जैसे घर में नही रहता था। पारस सोचने लगा। उम्र का तकाज़ा है। उन्नीस साल का हो गया है अब वह। नए दोस्त नया माहौल इस सब में उसने अपनी अलग दुनि...