लता तेजी से अपने घर की तरफ बढ़ रही थी. आज काम से लौटते हुए उसे देर हो गई थी. आज मनचंदा मेमसाहब के यहाँ किटी पार्टी थी. इसलिए काम ज्यादा था.
सुबह से शाम तक कई घरों में काम करती थी. इतनी मेहनत के बाद वह काम चलाने लायक कमा पाती थी. पति ने तब उसे घर से निकाल दिया जब वह पेट से थी. उसका संबंध किसी और स्त्री से था. कितनी तकलीफें सही उसने. लेकिन हिम्मत नही हारी. अब इतना कर पाई थी कि किराए की एक खोली ले ली थी. अब तो बस वह एक ही ख्वाब के लिए जी रही थी.
घर पहुँची तो बेटी ने पूंछा "आज देर क्यों हो गई."
"वो मेमसाहब के घर काम ज्यादा था." उसने प्यार से अपनी बच्ची के सर पर हाथ फेरा "भूख लगी है. मेमसाहब ने खाना दिया है. मैं अभी लगाती हूँ."
वह जल्दी से खाना निकालने लगी. तभी उसकी बेटी खुशी से बोली "अम्मा आज स्कूल में अंग्रेजी का टेस्ट था. मुझे पूरे नंबर मिले. टीचर ने वेरी गुड भी लिखा." उसने कॉपी लता की तरफ बढ़ा दी.
अपने आंचल से हाथ पोंछ कर उसने कॉपी पकड़ ली. उसकी आंखों में खुशी की चमक थी. हलांकि एक भी अक्षर वह नही पहचानती थी लेकिन साफ देख सकती थी कि जिस लक्ष्य के लिए वह इतनी मेहनत कर रही थी उसकी बेटी उसी दिशा में कदम बढ़ा रही थी.
सुबह से शाम तक कई घरों में काम करती थी. इतनी मेहनत के बाद वह काम चलाने लायक कमा पाती थी. पति ने तब उसे घर से निकाल दिया जब वह पेट से थी. उसका संबंध किसी और स्त्री से था. कितनी तकलीफें सही उसने. लेकिन हिम्मत नही हारी. अब इतना कर पाई थी कि किराए की एक खोली ले ली थी. अब तो बस वह एक ही ख्वाब के लिए जी रही थी.
घर पहुँची तो बेटी ने पूंछा "आज देर क्यों हो गई."
"वो मेमसाहब के घर काम ज्यादा था." उसने प्यार से अपनी बच्ची के सर पर हाथ फेरा "भूख लगी है. मेमसाहब ने खाना दिया है. मैं अभी लगाती हूँ."
वह जल्दी से खाना निकालने लगी. तभी उसकी बेटी खुशी से बोली "अम्मा आज स्कूल में अंग्रेजी का टेस्ट था. मुझे पूरे नंबर मिले. टीचर ने वेरी गुड भी लिखा." उसने कॉपी लता की तरफ बढ़ा दी.
अपने आंचल से हाथ पोंछ कर उसने कॉपी पकड़ ली. उसकी आंखों में खुशी की चमक थी. हलांकि एक भी अक्षर वह नही पहचानती थी लेकिन साफ देख सकती थी कि जिस लक्ष्य के लिए वह इतनी मेहनत कर रही थी उसकी बेटी उसी दिशा में कदम बढ़ा रही थी.
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