यह खबर उर्वशी के लिए बम धमाके की तरह थी. ऐसा धमका जिसने सब कुछ तितर बितर कर दिया था. उसके जीवन में एक तबाही लेकर आई थी यह खबर.
अपने मम्मी डैडी की लाडली थी वह. हमेशा जो मांगा वही मिला. वह सदैव ही अपने मन की करती आई थी. घर में कोई भी फैसला उसकी राय लिए बिना नही किया जाता था. उसके मम्मी डैडी की दुनिया का केंद्र थी वह.
लेकिन एक दावे ने उससे उसका सब कुछ छीन लिया था. वो अजनबी स्त्री पुरूष अचानक ही जाने कहाँ से आए और उसे अपनी संतान बताने लगे. उनका कहना था कि उसके जन्म के समय वह उसका पालन पोषण करने की स्थिति में नही थे.वो दोनों मानसिक रूप से बच्चे के लिए तैयार नहीं थे. दोनों महत्वकांशी थे वा जीवन में कुछ हांसिल करना चाहते थे. बच्चे का उनके जीवन में आना एक दुर्घटना थी. अतः उन्होंने उर्वशी को उसके वर्तमान माता पिता को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गोद दे दिया. उसके बाद वह विदेश चले गए और उन लोगों से कोई संपर्क नही किया. आज उनके पास बहुत कुछ था लेकिन इन सोलह सालों में लाख प्रयासों के बाद भी उन्हें संतान सुख नही मिला. अतः अब वह दोनों उसे वापस लेने आए थे.
उर्वशी के मम्मी डैडी ने उनकी बात स्वीकार कर ली. उसे गहरा धक्का लगा. अब तक जिन्हें माँ बाप समझ रही थी वह पराए थे. उसके माता पिता तो उससे दूर विदेश में थे. किन को वह अपना माने. एक अजीब सी कश्मकश में फंस गई थी वह.
जब मन अशांत होता है तब स्थिति का सही आकलन नही हो सकता. किंतु मन के शांत होते ही सब साफ हो जाता है़. अचानक आए इस तूफान ने उर्वशी के मन में भी उथल पुथल मचा दी थी. वह कुछ तय नही कर पा रही थी. लेकिन जब उसके मन के भीतर का तूफान शांत हुआ तो उसके लिए भी सब स्पष्ट हो गया. वह जान गई कि उसके माता पिता तो वही हैं जिन्होंने उसे पाला था. जिन्होंने एक परित्यक्त नन्ही सी बच्ची को अपने अमुल्य प्रेम से सींच कर संतान होने का गौरव दिया.
अपने मम्मी डैडी की लाडली थी वह. हमेशा जो मांगा वही मिला. वह सदैव ही अपने मन की करती आई थी. घर में कोई भी फैसला उसकी राय लिए बिना नही किया जाता था. उसके मम्मी डैडी की दुनिया का केंद्र थी वह.
लेकिन एक दावे ने उससे उसका सब कुछ छीन लिया था. वो अजनबी स्त्री पुरूष अचानक ही जाने कहाँ से आए और उसे अपनी संतान बताने लगे. उनका कहना था कि उसके जन्म के समय वह उसका पालन पोषण करने की स्थिति में नही थे.वो दोनों मानसिक रूप से बच्चे के लिए तैयार नहीं थे. दोनों महत्वकांशी थे वा जीवन में कुछ हांसिल करना चाहते थे. बच्चे का उनके जीवन में आना एक दुर्घटना थी. अतः उन्होंने उर्वशी को उसके वर्तमान माता पिता को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गोद दे दिया. उसके बाद वह विदेश चले गए और उन लोगों से कोई संपर्क नही किया. आज उनके पास बहुत कुछ था लेकिन इन सोलह सालों में लाख प्रयासों के बाद भी उन्हें संतान सुख नही मिला. अतः अब वह दोनों उसे वापस लेने आए थे.
उर्वशी के मम्मी डैडी ने उनकी बात स्वीकार कर ली. उसे गहरा धक्का लगा. अब तक जिन्हें माँ बाप समझ रही थी वह पराए थे. उसके माता पिता तो उससे दूर विदेश में थे. किन को वह अपना माने. एक अजीब सी कश्मकश में फंस गई थी वह.
जब मन अशांत होता है तब स्थिति का सही आकलन नही हो सकता. किंतु मन के शांत होते ही सब साफ हो जाता है़. अचानक आए इस तूफान ने उर्वशी के मन में भी उथल पुथल मचा दी थी. वह कुछ तय नही कर पा रही थी. लेकिन जब उसके मन के भीतर का तूफान शांत हुआ तो उसके लिए भी सब स्पष्ट हो गया. वह जान गई कि उसके माता पिता तो वही हैं जिन्होंने उसे पाला था. जिन्होंने एक परित्यक्त नन्ही सी बच्ची को अपने अमुल्य प्रेम से सींच कर संतान होने का गौरव दिया.
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