सारे शहर ने अपने वीर शहीद जतिन को भावभीनी विदाई दी. सरहद पर घुसपैठियों से लड़ते हुए उसने अपनी जान दे दी थी.
जिस विद्यालय का वह छात्र रह चुका था उसके प्रधानाचार्य बंसल जी ने एसंबली में छात्रों को देश प्रेम तथा देश सेवा पर बहुत भावुक भाषण दिया. सभी बच्चों ने उसे पसंद किया.
रात को डिनर करते हुए उनके बेटे ने कहा "आज आपकी बातें सुनकर मैने तय किया है कि मैं आई आई टी की जगह एन डी ए में जाऊं."
बंसलजी ने अपने बेटे को देख कर कहा "मैं और तुम्हारी माँ इस लिए इतनी मेहनत करते हैं कि तुम कुछ बन सको. जिससे हमारा बुढ़ापा चैन से कटे. तुमसे जो कहा गया है वही करो."
"पर पापा..." उनके बेटे ने कुछ कहना चाहा.
बंसलजी ने भारी आवाज़ में उसे डपट दिया "मुझे कोई बहस नही करनी है."
उनका बेटा यह देख कर बहुत दुविधा में था.
जिस विद्यालय का वह छात्र रह चुका था उसके प्रधानाचार्य बंसल जी ने एसंबली में छात्रों को देश प्रेम तथा देश सेवा पर बहुत भावुक भाषण दिया. सभी बच्चों ने उसे पसंद किया.
रात को डिनर करते हुए उनके बेटे ने कहा "आज आपकी बातें सुनकर मैने तय किया है कि मैं आई आई टी की जगह एन डी ए में जाऊं."
बंसलजी ने अपने बेटे को देख कर कहा "मैं और तुम्हारी माँ इस लिए इतनी मेहनत करते हैं कि तुम कुछ बन सको. जिससे हमारा बुढ़ापा चैन से कटे. तुमसे जो कहा गया है वही करो."
"पर पापा..." उनके बेटे ने कुछ कहना चाहा.
बंसलजी ने भारी आवाज़ में उसे डपट दिया "मुझे कोई बहस नही करनी है."
उनका बेटा यह देख कर बहुत दुविधा में था.
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