रागिनी और सुकेतु एक गहरी सोंच में थे. पिछले पाँच वर्षों से दोनों संतान के लिए तरह रहे थे. आखिरकार उन्होंने शहर के नामी डॉक्टर को दिखाया. जाँच के बाद पता चला कि प्राकृितिक तौर पर दोनों के माता पिता बनने की संभावना बहुत क्षीण है. अतः डॉक्टर ने उन्हें अन्य चिकित्सकीय विकल्प सुझाए.
रागिनी तथा सुकेतु माने हुए वकील थे. चिकित्सा पर होने वाला व्यय उनके चिंतन का मुद्दा नही था. वह दोनों तो अलग ही उहापोह में थे.
बहुत सोंच विचार के बाद वो लोग एक निर्णय पर पहुँचे. उनकी कार उस राह पर चल पड़ी जिसमें उनकी खुशियों की मंज़िल थी.
'स्नेह सदन' के सामने उनकी कार रुकी. अपने जीवन का सूनापन दूर करने के लिए वह अनाथालय के मैनेजर से मिले.
रागिनी तथा सुकेतु माने हुए वकील थे. चिकित्सा पर होने वाला व्यय उनके चिंतन का मुद्दा नही था. वह दोनों तो अलग ही उहापोह में थे.
बहुत सोंच विचार के बाद वो लोग एक निर्णय पर पहुँचे. उनकी कार उस राह पर चल पड़ी जिसमें उनकी खुशियों की मंज़िल थी.
'स्नेह सदन' के सामने उनकी कार रुकी. अपने जीवन का सूनापन दूर करने के लिए वह अनाथालय के मैनेजर से मिले.
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