मालती देवी सभी का खुशी से स्वागत कर रही थीं. आज बेटे बहू की शादी की पंद्रहवीं सालगिरह का समारोह था. दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय और आपसी प्रेम से परिपूर्ण था. तभी हॉल में मालती देवी की परम सखी ने प्रवेश किया. जोड़े को आशीर्वाद के साथ तोहफा देने के बाद वह मालती देवी से बोलीं "इन दोनों की जो़ड़ी तो लाखों में एक है."
मालती देवी गर्व से बोलीं "अच्छी तरह से पत्री मिलाने के बाद ही मैंने विवाह के लिए अपनी सहमति दी थी. "
पास खड़े उनके पति ने बेटे की तरफ देखा. दोनों मुस्कुरा दिए. अपनी पसंद की लड़की से विवाह करने की अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने अपनी बहू की नकली पत्री बनवाई थी.
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