मिस्टर आहूजा बीस साल बाद अपने वतन लौट कर आए थे. इन बीस वर्षों में सचमुच देश बहुत बदल चुका था. शहर के पटल पर कई ऊँची इमारतें दिखने लगी थीं. बड़े बड़े मॉल्स जिनमें दुनिया के नामी ब्रांड का सामान मिलता था. बड़े बड़े अस्पताल जिनमें सभी आधुनिक चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध थीं.
यह सब देख कर वह बहुत प्रसन्न थे. देश की तरक्की में योगदान देने के इरादे से ही वह यहाँ आए थे. पाँच सितारा होटल के कमरे में बैठे हुए वह एक हिंदी न्यूज़ चैनल देखने लगे. न्यूज़ एंकर बहुत उत्तेजित होकर सरकारी अस्पताल के प्रशासन की लापरवाही के विषय में बता रही थी.
स्क्रीन पर एक लाचार बाप अपने जवान बेटे की लाश अपने कंधे पर ढोते दिखाई दे रहा था.
यह सब देख कर वह बहुत प्रसन्न थे. देश की तरक्की में योगदान देने के इरादे से ही वह यहाँ आए थे. पाँच सितारा होटल के कमरे में बैठे हुए वह एक हिंदी न्यूज़ चैनल देखने लगे. न्यूज़ एंकर बहुत उत्तेजित होकर सरकारी अस्पताल के प्रशासन की लापरवाही के विषय में बता रही थी.
स्क्रीन पर एक लाचार बाप अपने जवान बेटे की लाश अपने कंधे पर ढोते दिखाई दे रहा था.
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