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तीर

अनु हांथ मुह धोकर कमरे में आई तो देखा माँ मेज़ पर चाय का प्याला रख गई थीं. वह बैठ कर चाय पीते हुए व्हाट्सअप संदेश देखने लगी. प्रशांत का मैसेज था 'तुम्हारी बहुत याद आई पूरे दिन. पर बिज़ी रहा.'
अनु ने मैसेज भेजा 'सेम हियर'. कुछ ही क्षणों में प्रशांत का जवाब आया. दोनों चैट करने लगे. 
पिता को बीमारी के कारण समय से पहले अवकाशग्रहण लेना पड़ा. ऐसे में घर चलाने की ज़िम्मेदारी उस पर आ गई. उसने भी सारा दायित्व खुशी खुशी अपना लिया. घर और दफ्तर के बीच स्वयं को भूल गई. 
अनु की इस रसहीन ज़िंदगी में प्रशांत ने ताज़ी हवा के झोंके की तरह प्रवेश किया. कुछ ही मुलाकातों में दोनों ने समझ लिया कि दोनों एक दूजे के लिए ही बने हैं. उन्होंने विवाह करने का निश्चय कर लिया. कल ही अनु ने अपने माता पिता को यह फैसला सुनाया था. 
कल से ही माँ का मूड कुछ उखड़ा सा था. चैट ख़त्म कर वह बाहर आई तो देखा कि उसके पिता की कुछ दवाइयां समाप्त हो गई हैं. माँ टेबल पर खाना लगा रही थीं. उसने माँ से कहा "मम्मी पापा की दवाएं ख़त्म हो गईं. आपने बताया क्यों नही."
बिना उसकी ओर देखे वह बोलीं "अब तो तुम अपने घर जाने वाली हो. हमें ही सब संभालना है. तुम अब इन सब चीज़ों की फ़िक्र मत करो."
माँ की इस बात में छिपा तंज़ उसके ह्रदय को बींध गया. 
खाना खाकर चुपचाप वह अपने कमरे में चली गई.

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