दीपक देर रात तक पढ़ रहा था. उसकी माँ ने कहा "अब सो जा. सुबह अखबार और दूध बांटने जाना है."
"बस माँ कुछ देर और. पाठ पूरा कर लूँ." दीपक ने कुछ देर की मोहलत मांगी.
"क्यों पढ़ाई के लिए इतनी मेहनत करता है. यह सब हम गरीबों के लिए नही है." उसकी माँ ने विवशता दिखाते हुए कहा.
दीवार पर लगे डॉ. कलाम के चित्र की तरफ इशारा करते हुए दीपक बोला "यह भी मेरी तरह अखबार बांटते थे. देश के राष्ट्रपति बने."
दीपक की माँ की आंखों में भी आस किरन चमकने लगी.
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