रोहित पत्थर पर बैठे हुए समुद्र की लहरें देख रहा था. उसके कान में अपने पिता के शब्द गूंजने लगे 'देखो यह सब फितूर छोड़ कर ढंग का फैसला लो. याद रखो कि तुम किस खानदान से हो.' एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर तैर गई. उसके पिता बड़े भाई और दोनों चाचा सभी ने उसके दादाजी के नक्शे कदम पर चलते हुए वकालत का पेशा चुना था. एक वही था जो सबसे अलग जा कर फैशन डिजाइनिंग में अपना कैरियर बनाना चाहता था.
अचानक उसकी नज़र पत्थर पर रेंगती चीटियों पर पड़ी. सभी एक के पीछे एक रेलगाड़ी की तरह चल रही थीं. तभी उसने देखा कि एक चींटी सबसे अलग अपनी राह पर जा रही थी.
उसने तय कर लिया कि वह अपने दिल की बात ही सुनेगा.
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