राजीव और जतिन अच्छे दोस्त थे. उनकी यह दोस्ती पंद्रह साल पुरानी थी. दोनों ही सफल व्यापारी थे. समाज में उनका रुतबा बराबर का था.
जतिन की इच्छा दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने की थी. अतः उन्होंने राजीव को सुझाव दिया कि वह अपने छोटे बेटे का विवाह जतिन की इकलौती बेटी से कर दें. राजीव को भी इस फैसले से कोई ऐतराज़ नही था.
राजीव अपने सामाजिक रुतबे को बढ़ाना चाहते थे. अतः राजनीति के क्षेत्र में अपने कदम जमाने के लिए प्रयासरत थे. सत्ताधारी पार्टी के एक बड़े नेता ने अपनी पुत्री का विवाह राजीव के पुत्र से करने की पेशकश की. इस प्रस्ताव में निहित अपने लाभ को पहचान कर राजीव ने हाँ कर दी. एक समारोह में इसका ऐलान भी कर दिया.
अपने मित्र के इस फैसले से जतिन बहुत आहत हुए. दोस्ती का आधार परस्पर विश्वास पूरी तरह से चरमरा गया था.
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